कही-सुनी (17 NOV-24) : रवि भोई

रायपुर दक्षिण विधानसभा के नतीजों पर टिकी निगाह

कहा जा रहा है कि रायपुर दक्षिण विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोनी से ज्यादा सांसद बृजमोहन अग्रवाल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। माना जा रहा है कि इस सीट पर सुनील सोनी की जीत से बृजमोहन अग्रवाल का राजनीतिक कद बढ़ जाएगा। चर्चा है कि बृजमोहन अग्रवाल ने सुनील सोनी की जीत के लिए अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी। रायपुर दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल आठ बार विधायक रहे और पार्टी ने यहां से बृजमोहन अग्रवाल के करीबी सुनील सोनी को ही उम्मीदवार बनाया। रायपुर दक्षिण पर फतह के लिए भाजपा और कांग्रेस ने खूब मेहनत की, लेकिन मतदाताओं ने कोई खास दिलचस्पी नहीं ली। कहते हैं कि भाजपा की तरफ से बृजमोहन अग्रवाल ने मोर्चा संभाले रखा था, तो कांग्रेस की तरफ से आकाश शर्मा को जिताने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पूरी ताकत लगी दी थी। कांग्रेस के बड़े नेताओं के मैदान में उतरने से चुनाव दिलचस्प तो रहा, लेकिन मतदान का प्रतिशत बढ़ने की जगह घट गया। माना जा रहा है कि हार-जीत का अंतर काफी कम वोटों से होने वाला है। वैसे उपचुनाव में ट्रेंड सत्तारूढ़ दल के जीत का रहा है, फिर रायपुर दक्षिण को भाजपा का गढ़ कहा जाता है, क्योंकि बृजमोहन अग्रवाल यहाँ से कभी चुनाव नहीं हारे, इसलिए कांग्रेस के लिए राह कठिन ही नजर आ रहा है। फिर भी रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सबकी निगाह है। दक्षिण के नतीजे से भाजपा का नया सत्ता समीकरण भी सामने आएगा और कांग्रेस की राजनीति भी साफ़ होगी। अब सबको 23 नवंबर का इंतजार है।

विधायक जी का प्रयोग फेल

कहते हैं भाजपा के एक विधायक जी ने नया प्रयोग किया था, पर चल नहीं पाया और अपने कदम पीछे खींचने पड़े। विधायक जी ने अपने विधानसभा क्षेत्र के हर वार्ड में प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया था। बताते हैं विधायक जी ने ऐसे 250 प्रतिनिधि बनाए थे। इन प्रतिनिधियों के कारण विधायक जी जिस वार्ड में भी जाते थे, खूब भीड़ जमा हो जाती थी और उनकी वाहवाही होने लग जाती थी। कहा जाता है कि शुरू में विधायक जी को यह फार्मूला तो अच्छा लगा, पर वार्ड प्रतिनिधि गलत राह पर चल पड़े तो विधायक जी के पास शिकायतों का अंबार पहुंचने लगा। शिकायतों की बढ़ती तादाद से विधायक जी को अपना फैसला बदलना पड़ा। याने अति हुआ तो विधायक जी को अकल आ गई। पहले जो उन्हें अच्छे लगते थे, शिकायतों के बाद उनसे दूर भागने लगे।

सांसद जी का बिगड़ा मिजाज

सपने देखना अच्छी बात है, पर जब सपने पूरे नहीं होते तो फिर मिजाज बिगड़ने लगता है, ऐसा ही कुछ आजकल एक भाजपा सांसद के साथ होने की खबर है। भाजपा ने राज्य में सरकार बनने के पहले तक सांसद जी का खूब इस्तेमाल किया। अपने उपयोग से गदगद सांसद जी सपने देखने लगे। माना जाने लगा था कि सांसद जी को राज्य या केंद्र की कलगी तो मिलेगी ही, पर सांसद जी के सपने हकीकत में नहीं बदले। कहते हैं सपना टूट जाने से सांसद जी के मिजाज और बोल दोनों बिगड़ गए हैं। सांसद जी के नए तेवर इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं। चर्चा है कि सांसद महोदय हाल-फिलहाल सरकार संगठन के साथ एक विधायक से भी बड़े खफा हैं।

दीपांशु काबरा मुख्यधारा में

तकरीबन ग्यारह महीने बाद एडीजी दीपांशु काबरा का वनवास खत्म हो गया। पुलिस मुख्यालय में उन्हें पोस्टिंग मिल गई। भूपेश बघेल के राज में दीपांशु काबरा दो महत्वपूर्ण विभाग संभाले हुए थे। वे ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ जनसंपर्क आयुक्त भी थे। दीपांशु काबरा को भूपेश बघेल राज के शुरूआती दिनों में करीब नौ महीने बिना काम के काटना पड़ा था। तब उन्हें रेंज आईजी से पुलिस मुख्यालय में पदस्थ कर दिया गया था। दीपांशु काबरा के साथ डॉ आनंद छाबड़ा और अजय यादव को भी महीनों बाद पुलिस मुख्यालय में जिम्मेदारी मिल गई है। आईपीएस ध्रुव गुप्ता और अरविंद कुजूर को भी प्रभार मिल गया है। बलौदाबाजार कांड में निलबिंत आईपीएस सदानंद कुमार करीब छह महीने बाद भी अधर में लटके हैं, तो आईपीएस मयंक श्रीवास्तव की पोस्टिंग भी नहीं हुई है।

संजीव झा और दिव्या का कद बढ़ा

सरकार ने 2011 बैच के आईएएस संजीव कुमार झा और 2012 बैच की आईएएस दिव्या मिश्रा को अतिरिक्त प्रभार देकर उनका कद बढ़ा दिया है। संजीव कुमार झा संचालक समग्र शिक्षा और संचालक विमानन के साथ अब पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक होंगे। दिव्या मिश्रा डीपीआई के साथ राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद और राज्य साक्षरता मिशन की संचालक होंगी। ये दोनों विभाग स्कूल शिक्षा विभाग से ही जुड़े हैं। एक भाजपा नेता से पटरी नहीं बैठने के कारण करीब 10 महीने पहले बीजापुर के कलेक्टर पद से हटाए गए राजेंद्र कुमार कटारा को बलरामपुर जिले की जिम्मेदारी मिल गई है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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