धर्म और विनम्रता को आत्मसात करें जीवन मेंः आचार्य दीवान

कोरबा 07 अक्टूबर। आचार्य श्रीधर दीवान ने श्रद्धालुओं को बताया कि जीवन में धर्म और विनम्रता आवश्यक है। इस आत्मसात करने की आवश्यकता है। राजा नहुष ने देवराज इंद्र का स्थान लेने के साथ उसकी पत्नी पर अधिकार जमाने की कोशिश की। इसके नतीजन उसे सर्प योनी का श्राप मिला। इससे अहंकार का अंत हुआ।

नवरात्र पर प्रगतिनगर में श्रीमद् देवी भागवत के आयोजन में दीवान ने यह बात कही। 26वें वर्ष में यहां दुर्गा पूजा हो रही है जिसमें देवी भागवत को शामिल किया गया है। भागवताचार्य ने आदिशक्ति से संबंधित प्रसंगों पर यहां रोशनी डालते हुए श्रद्धालुओं को बताने का प्रयास किया कि सत्कर्मों का अपना प्रभाव होता है और इसके माध्यम से व्यक्ति के लोक-परलोक दोनों सुधरते हैं। उन्होंने सत्य, कर्म, धर्म और अहिंसा के रास्ते पर चलने की सीख दी। लेकिन यह भी कहा कि धर्म पर संकट हो तो शांति के उपदेश से कहीं ज्यादा शस्त्र उठाने आवश्यक होते हैं। भागवत कथा को 11 अक्टूबर के दिन विश्राम मिलेगा।

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