बारिश में बहा नवनिर्मित चेकडैम.. भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारीयों को ही जाँच की जिम्मेदारी
गरियाबंद। पहली बरसात की झमाझम बारिश ने मैनपुर ब्लॉक के चलनापदर के डाकरेल नाला में मनरेगा योजना के तहत 14.50 लाख रुपये की लागत से बनाए गए चेकडैम की गुणवत्ता के साथ-साथ कमीशनखोरी की पोल भी खोल दी. दो दिन पहले चेकडैम टूट कर कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया. मामले का खुलासा हुआ तो जिला सीईओ रीता यादव ने मैनपुर जनपद को जांच के आदेश भी दिए. बीते मंगलवार को आरईएस एसडीओ उत्तम चौधरी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच दल ने भी घटनास्थल का निरीक्षण भी किया. आरईएस एसडीओ उत्तम चौधरी ने बताया कि जांच रिपोर्ट जिले को भेजी जाएगी. मामले में ऊपर से कार्रवाई होगी. इसमें निर्माण एजेंसी की लापरवाही सामने आई है, स्थल चयन में लापरवाही बरती गई है.
गड़बड़ी के जिम्मेदार को ही जांच का जिम्मा
निर्माण कार्य में स्थल चयन से लेकर ले आउट, प्लिंथ निर्माण से लेकर पूरे स्ट्रक्चर का निर्माण एजेंसी द्वारा आरईएस विभाग के इंजिनियर, एसडीओ की देख रेख में किया जाता है. तकनीकी अफसर डैम का भौतिक सत्यापन कर बिल आहरण की तयारी कर रहे थे. टूटे डेम में 4 मीटर प्लिंथ के बजाए केवल डेढ़ मीटर प्लिंथ किया गया है, जोड़ के लिए अमानक मटेरियल का इस्तेमाल भी हुआ है. लेकिन भ्रष्टाचार में संलिप्त अफसरों को ही जांच सौंपने से यह गड़बड़ी सामने नहीं आ पाएगी.
कांग्रेस सरकार में शुरू हुई काम के बदलने कमीशन की परिपाटी
मामले में भाजपा के व्यापारी प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष शोभा चंद पात्र ने प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मांग पर निशुल्क मिलने वाला काम कांग्रेस के समय में 20 प्रतिशत कमीशन पर दिया जाने लगा. निर्माण पूरा होते तक फाइल आगे बढ़ाने और 20 प्रतिशत कमीशन तकनीकी मामले में खर्च होता है. इसी सुविधा शुल्क के चलते अब मनरेगा का मटेरियल वर्क गुणवत्ता हीन हो गया. जहां जरूरी नहीं वहां भी काम की मंजूरी कमीशन पर दी जाने लगी. शोभा चंद ने कहा की कांग्रेस के समय से जमे प्रभावशाली अफसर आज भी अपने कुर्सी में जमे हुए हैं. सत्ता बदली पर वे अपना पैटर्न नहीं बदले हैं, इससे सरकार की छवि धूमिल हुई है.