यूपी की दस सीटों पर होंगे उपचुनाव.. NDA और INDIA की साख दाव पर

लखनऊ. लोकसभा चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। यूपी के 10 विधायक चुनाव जीतकर अब सांसद बन चुके हैं। इनके सांसद बन जाने से यूपी की दस सीटों पर चुनाव होने हैं जिसे लेकर सपाई और भाजपाई खेमों में मंथन का दौर जारी है। हालांकि योगी के दूसरे कार्यकाल में लगभग आधा वक्त निकल चुका है और जो भी विधायक चुने जाएंगे वह महज विधान सभा के आधे कार्यकाल में ही अपना योगदान दे पाएंगे। लेकिन असल चुनौती इंडिया गठबंधन और एनडीए की साख का है।

योगी के लिए अग्रि परीक्षा की घड़ी
लोकसभा चुनावों में मोदी ही नहीं योगी का जादू भी फेल हो गया। 400 पार तो दूर बहुमत का आंकड़ा भाजपा नहीं छू पाई। इसके लिए उत्तर प्रदेश को जिम्मेदार माना जा रहा है जहां अनुमान से कम सीटें भाजपा को मिली हैं। अब दस सीटों पर उपचुनाव होने है जिसे लेकर एक तरफ सपाई खूब जोर-शोर से लगे हैं तो दूसरी तरफ भाजपा खेमे में भी सियासत के पहलवानों ने वर्जिश शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि योगी सरकार ने संगठन और सरकार के पेंच कसने शुरू कर दिए हैं। योगी को मालूम है कि लगातार हार के बाद उनकी अपराजेय की छवि का राज खुल जाएगा।

एनडीए और इंडिया की चिंता
एनडीए को अपनी पांच सीटों की चिंता है तो सपाई जीत से उत्साहित हैं। वह अपने पांच विधायकों को सांसद बना चुके हैं और इन पांचों पर अपने विधायक फिर से जीताने के लिए लग गए हैं। इतना ही नहीं, अतिउत्साह में सपा को लगता है कि वह इस चुनाव में भाजपा की सीटें भी छीन लेगी। पहले भी सपा के नेता शिवपाल यादव कह चुके हैं कि वोट प्रतिशत के हिसाब से देखें तो लोकसभा में जितना मत हमें मिला है, उतने पर समाजवादी पार्टी की स्पष्ट बहुमत की सरकार बन जाएगी।
इन सीटों पर होना है चुनाव
यूपी में दस विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। जिसमें पांच पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था। अयोध्या के मिल्कीपुर, करहल, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझंवा, कठेरी, खैर और मीरपुर सीट पर चुनाव होना है। इन सीटों में से कुछ सीटें सपा के लिए परंपरागत मानी जाती है तो कुछ सीटें ऐसी भी है जहां पिछले कई चुनावों से भाजपा जीतती आई है।

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