आयुष्मान में 17 चिकित्सा संस्थानों को इम्पेनल, उपचार में बहानेबाजी की तो होगी कार्रवाई
कोरबा 08 जनवरी। भारत सरकार ने आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ देने को लेकर आयुष्मान योजना लांच करने के साथ इसे देश भर में जारी किया है। अनेक प्रकार की बीमारियों के मामले में पीडित इस योजना से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कोरबा जिले में स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान के अंतर्गत कुल 17 चिकित्सा संस्थानों को इम्पेनल किया है।
इसके अंतर्गत क्राइटेरिया के दायरे में आने वाली बीमारियों के प्रकरण में उपचार करना होगा। बहानेबाजी करने पर निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। सरकार के पैरामीटर्स के अंतर्गत प्राइवेट संस्थानों को चिकित्सा सेवाएं देने के लिए पंजीकृत किया गया है। इसके साथ ही उन्हें मान्यता भी दी गई है। अपने मूल काम के साथ-साथ ऐसे संस्थानों को केंद्रीय योजना आयुष्मान के लिए भी काम करने के मौके दिए गए हैं। संबंधित संस्थानों के आवेदन के आधार पर ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही इसे सार्वजनिक भी किया गया है। उक्तानुसार आयुष्मान में शामिल बीमारियों के उपचार और अन्य संबंधित श्रेणियों को भी घोषित किया गया है ताकि किसी प्रकार की गलतफहमी न हो। इसके अनुसार आयुष्मान कार्ड धारक व्यक्ति और उसके परिजन बीमारी की स्थिति में सरकारी अस्पतालों के अलावा अनुबंधित अस्पतालों में पहुंचकर सेवाओं का लाभ आसानी से ले सकते हैं। सरकार की नीति के तहत ऐसे सभी संस्थानों को अपने यहां आयुष्मान हेल्प डेस्क को क्रियाशील करने के लिए कहा गया है और इस दिशा में काम शुरू किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि आयुष्मान योजना सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है और इस पर पूरी पारदर्शिता व प्रतिबद्धता के साथ काम करना ही है। नियम के दायरे में आने वाले मरीजों को भर्ती करने के साथ उन्हें उपचार की सुविधा भी देनी होगी। साफ किया गया कि ऐसा कोई संस्थान जो इस तरह के मामले में बहानेबाजी करने के साथ उपचार से इंकार करता है तो आवेदक की ओर से लिखित शिकायत करने पर जांच करते हुए आवश्यक कार्रवाई भी की जाएगी। बताया गया कि अब तक कि स्थिति में ऐसा कोई आवेदन विभाग के पास लंबित नहीं है।
नर्सिंग होम एक्ट में अब जिले का पंजीयन जरूरी
जानकारी के अनुसार कोरबा जिले में निजी क्लीनिक या पैथोलॉजी लेब्रोरेट्री के साथ-साथ सेंपल कलेक्शन करने वालों को नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत जिला स्तरीय पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य स्तरीय व्यवस्था इससे अलग है। केवल राज्य में पंजीकरण के आधार पर कोई संचालक अगर जिले में काम करता है तो उसे वहां से भी पंजीकरण कराना होगा। नई व्यवस्था के अंतर्गत माइनर पैथोलॉजी लैब में एमबीबीएस और मेजर लैब के लिए एमडी पैथोलॉजिस्ट को रखा जाना अनिवार्य होगा। जबकि कलेक्शन सेंटर के लिए भी डिप्लोमा होल्डर की आवश्यकता होगी।