कुत्तों के हमले से मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में पीडितों की बढ़ी संख्या

कोरबा 03 जनवरी। सर्दी का मौसम कुत्तों के प्रजनन का कालखंड होता है। इस दौरान ही कुत्तों के काटने के सबसे ज्यादा मामले प्रकाश में आते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सचेत किया है कि इस तरह की स्थिति निर्मित होने पर 24 घंटे के भीतर चिकित्सा लेने के बारे में गंभीरता दिखाई जानी चाहिए। ऐसा नहीं करने पर बाद में उन्हें लेने के देने पड़ सकते हैं।

मानसिक और शारीरिक स्थिति बेहतर नहीं होने के अलावा परेशान करने के साथ ही बच्चों को जन्म देने के बाद कुत्ते रास्ता चलते लोगों को निशाना बनाते हैं। कई बार वे खास तरह की गाडियों का पीछा करते है तो कभी रंग और शकलसुरत देखकर भी निशाना बनाते है। ऐसे में हादसे हो जाते है और लोग इसकी चपेट में आ जाते है। अभी सर्दी के मौसम में कुत्तों के हमले एकाएक तेज हो गए है। डॉक्टर शशिकांत भास्कर ने बताया कि प्रजनन के बाद अपने बच्चों की रक्षा करने के चक्कर में ऐसे मामले ज्यादा होते हैं। फिलहाल 35 से ज्यादा मामले हर दिन अस्पताल में आ रहे हैं।

बताया गया कि कुत्तों के द्वारा काटने पर रेबीज का खतरा होता है। ऐसे में 24 घंटे की भीतर पीडित को अस्पताल में संपर्क करने के साथ आवश्यक सुविधा लेना चाहिए। इसकी अनदेखी करने पर व्यक्ति रैबीज से प्रभावित हो सकता है। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इस तरह की घटनाओं से संबंधित पीडितों को उपचार देने के लिए दवा की पर्याप्त व्यवस्था है। इस मौसम में यहां वहां अपनी उपस्थिति दर्ज करने के दौरान लोगों को आसपास के खतरों से सतर्क रहने की जरूरत है। लोग अगर पूरी सावधानी भर देंगे तो उन्हें अस्पतालों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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