आरएसएस ने मनाया विजयादशमी उत्सव, निकाला विशाल पथ संचलन
अपना राष्ट्र सशक्त और समृद्ध हो, यह स्वयंसेवकों की महत्वाकांक्षा : किरवई
कोरबा 29 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के क्षेत्रीय संगठन मंत्री सुनील किरवई ने रविवार को कोरबा में विजयादशमी उत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि अपने गौरवशाली राष्ट्र भारत को सशक्त और समृद्ध करने की महत्वाकांक्षा हर स्वयंसेवक की है और वह इसी भाव के साथ अपना काम कर रहा है। उनके समर्पण की तुलना के लिए कोई विकल्प नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा किआज के परिपेक्ष्य में विजयदशमी का पर्व राष्ट्रवाद का आतंकवाद के ऊपर विजय का पर्व है ऐसा कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होना चाहिए। इसके अलावा धर्म, नीति और सत्य की जीत के मायने भी इसके साथ जुड़े हुए है। इसलिए शक्ति की उपासना को शांति का आधार बताया गया है। यह हमारे जीवन मूल्यों के लिए आवश्यक भी है। अरुणाचल प्रदेश में 10 वर्ष तक संगठन का कार्य करने वाले सुनील किरवई ने भगवान श्रीरामचन्द्र के अवतार और उनके सामाजिक , राष्ट्रीय योगदान की भी चर्चा की। उन्होंने देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित परंपरा और उनके संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सीता के संरक्षण के लिए जो भूमिका राजा जनक ने निभाई, वैसे लोग आज समाज मे आगे आ रहे है।
किरवई ने हजारों वर्ष पूर्व श्रीराम द्वारा अहिल्या उद्धार, शबरी के जुठे बेर को खाने तथा निषादराज से सहज भाव से गंगा पार कराने के प्रसंग के माध्यम से बताया कि वे सामाजिकता और समरसता के अद्भुत उदाहरण भी थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ में प्रचलित मितान परंपरा को उद्धरित करते हुए कहा कि सनातन संस्कृति श्रीराम के समय से चली आ रही है, जो अब भी जारी है। उस समय भी एक दूसरे से जुड़ने के लिए जाति नही पूछी गई थी, और इसे अभी भी कायम रखा गया है, यही तो सनातन है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इन्ही जीवन मूल्यों को आगे रखकर समाज के साथ मिलकर काम कर रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोरबा नगर के द्वारा वर्ष 2023 का विजयादशमी पर्व प्रकट उत्सव के रूप में रविवार को मनाया। डॉ राजेंद्र प्रसाद नगर फेस 1 दशहरा मैदान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुनील किरवई ने 1925 में डॉक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार के द्वारा पांच सदस्यों के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना करने और इसके पीछे के विचार को स्पष्ट किया । उस समय एमबीबीएस की शिक्षा प्राप्त करने और उसके महत्व को जानने के बावजूद डॉक्टर हेडगेवार के मन में राष्ट्र को लेकर कुछ अलग ही चल रहा था इसलिए उन्होंने नौकरी से दूरी बनाई और राष्ट्र कार्य में खुद को समर्पित कर दिया।
अगले 2 वर्ष बाद आरएसएस अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है तब हमारे सामने सबसे गौरव की बात यह होगी कि देश में हमारी शाखों की संख्या 50000 से भी ज्यादा होगी । वर्तमान में कई करोड़ स्वयंसेवक हमारे साथ जुड़े हुए हैं । आरएसएस अपने संसाधनों से समाज और देश के लिए काम करने वाला एकमात्र संगठन है जो विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान रखता है । क्षेत्रीय संगठन मंत्री ने समाज जीवन के अलग-अलग क्षेत्र में संघ की भूमिका को स्पष्ट करने के साथ यह भी बताया कि किसी भी तरह के लालसा से परे स्वयंसेवकों की महत्वाकांक्षा कुल मिलाकर अपने राष्ट्र को सभी क्षेत्रों में सबसे मजबूत होते देखने की है और वह इसी लक्ष्य को लेकर अपना काम कर रहे हैं ।