सामूहिक दुष्कर्म से आदिवासी किशोरी गर्भवती, पुलिस नहीं लिख रही रिपोर्ट
कोरबा 15 सितंबर। आदिवासी किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग दिल्ली ने संज्ञान लिया है। आयोग के निर्देश पर स्थानीय बाल कल्याण समिति ने पीडि़ता का बयान दर्ज किया है। इस बयान को अग्रिम कार्रवाई के लिए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रेषित किया जाएगा।
पाली थाना क्षेत्र के एक गांव में 26 अप्रैल 2022 में दो पक्षों के बीच विवाद हुआ था। इस दौरान एक पक्ष ने जानलेवा हमला कर दिया था। पुलिस ने इस मामले में हत्या का प्रयास अपराध पंजीबद्ध कर पिता- पुत्र को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्रवाई की थी। इस बीच जेल गए पिता की 16 वर्षीय पुत्री के साथ शिकायत करने वाले पक्ष के चार युवकों ने मार्च 2023 माह में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। पीडिता के अनुसार वह जीवकोपार्जन के लिए घरेलू कामकाज करती है। वह काम कर घर वापस लौट रही थी। इस दौरान चारों युवक उसे हाथ खींच कर एक लकड़ी डिपो के पीछे सूने स्थान पर ले गए। यहां उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। वह बेहोश हो गई, मृत समझ कर चारों युवक भाग गए।
घर लौट कर उसने अपनी मां को घटना की जानकारी दी, पर लोक लाज के डर से उस वक्त घटना की शिकायत नहीं की गई। उसके पिता व भाई जेल से बाहर निकले, तो उन्हें इस घटना से अवगत कराया और मई 2023 में पाली थाना पहुंच कर सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत की गई। पुलिस कर्मियों ने रंजिशवश झूठी शिकायत करने की बात कह उन्हें वापस लौटा दिया। अब वह चार माह के गर्भ में है, पर अभी भी पुलिस झूठा मामला होने का हवाला देकर उसकी रिपोर्ट नहीं लिख रही। किशोरी का यह भी कहना है कि सामूहिक दुष्कर्म के बाद चार आरोपितों में एक आरोपित ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया। सवाल यह उठता है कि आखिर पुलिस इस मामले की रिपोर्ट लिख मेडिकल परीक्षण क्यों नहीं करा रही। मेडिकल व डीएनए टेस्ट से स्पष्ट हो जाएगा कि दुष्कर्म की शिकायत झूठी है या नहीं। बहरहाल पीडि़त परिवार बेहद डरा सहमा हुआ है। बाल कल्याण समिति ने पीडि़ता को आश्रम में रखने की सलाह दी, पर पिता इसके लिए राजी नहीं हुआ। इस मामले में पुलिस का कहना है कि पहले महिला सेल से इसकी जांच कराई जा चुकी है, तब किशोरी ने पिता के दबाव में आकर झूठी शिकायत करने की बात कबूल कर चुकी है।