महापौर राजकिशोर की जाति प्रमाण पत्र को चुनौती वाली याचिका खारिज

कोरबा 15 सितंबर। नगर निगम चुनाव के बाद महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती देते हुए न्यायालय में भाजपा की पार्षद रितु चौरसिया ने याचिका दायर की थी। इसकी लंबी चली सुनवाई के बाद न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी है।

नगर पालिका निगम कोरबा में कुल 67 वार्ड हैं। इसमें वर्ष 2019 में हुए चुनाव में भाजपा के पार्षदों की संख्या अधिक रही। इसके बावजूद महापौर पद के लिए निर्वाचन के समय क्रास वोटिंग होने से कांग्रेस के राज किशोर प्रसाद महापौर निर्वाचित हो गए। भाजपा ने पार्षद रितु चौरसिया को महापौर का प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा था। भाजपा ने रितु चौरसिया को प्रार्थी बनाते हुए जिला न्यायाधीश के समक्ष याचिका दायर करते हुए महापौर राजकिशोर के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी। जिला न्यायाधीश डीएल कटकवार के न्यायालय में तीन साल तक मामले की सुनवाई चली और गुरूवार को न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया। महापौर की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता संजय शाह ने बताया कि न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है। इससे महापौर के जाति प्रमाण पत्र को अवैध ठहराया जा सके। न्यायालय ने महापौर के जाति प्रमाण पत्र को वैध करार दिया और याचिका को खारिज कर दिया। शाह ने बताया कि एक याचिका भाजपा नेता अशोक चावलानी ने भी लगाई थी, जिसे न्यायालय ने एक साल के बाद ही निरस्त कर दिया था। मामले की पैरवी हाई कोर्ट अधिवक्ता निर्मला शु्क्ला ने की थी।

महापौर राजकिशोर प्रसाद ने कहा कि चुनाव में हार के बाद भाजपाई अपना होश खो बैठे थे तथा लगातार झूठ और गलत तथ्यों का सहारा लेकर विकास कार्यों में व्यवधान उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे थे। अब न्यायालय का निर्णय आ चुका है। सत्य परेशान जरूर हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं। यह न्यायालय के निर्णय से एक बार फिर प्रमाणित हो चुका है। भाजपाइयों का सारे हथकंडे धरे के धरे रह गए और अंत में सत्य की जीत हुई है।

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