41 वर्षों की सेवा पूरी करके प्रो.अश्विनी केशरवानी सेवानिवृत हुए
कोरबा 04 सितम्बर। विगत 31 अगस्त को शासकीय मिनीमाता कन्या महाविद्यालय कोरबा में पदस्थ प्रो.अश्विनी केशरवानी अधिवार्षिकी आयु पूरी करके सेवानिवृत हो गए। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.राजेन्द्र सिंह, डॉ.तारा शर्मा, श्रीमती संध्या पांडेय, मुख्य लिपिक श्री दुष्यंत राव भोंसले सहित सबने उन्हें शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार द्वारा एक विदाई समारोह आयोजित कर उन्हें शाल, श्रीफल और स्म्ति चिन्ह भेंट किया गया और उनके सम्बंध में अपने अपने संस्मरण व्यक्त किये। प्रो.केशरवानी इस महाविद्यालय में 6 वर्ष पदस्थ रहे। वरिष्ठ प्राध्यापक होने के कारण उन्हें अनेक दायित्व सौंपे गये जिनका उन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन किया। सबसे उन्होंने यथायोग्य आचरण करते हुए सबके लिए प्रेरणास्रोत बने।
विदाई समारोह में महाविद्यालय परिवार के साथ प्रो.केशरवानी की धर्मपत्नी श्रीमती कल्याणी केशरवानी भी उपस्थित थीं। इसके पूर्व प्रो. केशरवानी राजनांदगांव, रायगढ़, चांपा, चारामा कांकेर में पदस्थ रहे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रो केशरवानी अपने विषय के विशेषज्ञ तो हैं ही, एक उच्च कोटी के साहित्यकार भी हैं। चांपा में अपने पदस्थापना के दौरान कलेक्टर जांजगीर चांपा की अध्यक्षता में गठित जिला पुरातत्व संघ और जिला गजेटियर समिति के संस्थापक सदस्य रहे। वे 1990 के बाद से लबे समय तक जिला में मास्टर ट्रेनर्स रहे। इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के अच्छे जानकार होने के कारण उन्हें कलेक्टर जांजगीर चांपा के द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया था। इसी प्रकार जांजगीर में आयोजित जाज्वल्यदेव एग्रीटेक मेला के आयोजन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। इस अवसर पर प्रकाशित होने वाली पत्रिका जाज्वल्या के संपादक मंडल के सदस्य रहे। इसके लिए भी उन्हें कलेक्टर के द्वारा प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किया था। जिला पुरातत्व संघ के माध्यम से उन्होंने जिले के अनेक गांवों में पुरातत्व समाग्री की खोज करने में शामिल थे। वे मूलत: जिले के धार्मिक संस्कारधानी शिवरीनारायण में जन्में, पले बढ़े और वहां के धार्मिक और सांस्कृतिक संस्कारों का उनके उपर गहरा प्रभाव पड़ा और वे एक सफल लेखक के रूप में ख्याति अर्जित किये।
विविध विषयों पर उनकी रचनाएं राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती थी। धर्मयुग, कादम्बिनी, नवनीत हिन्दी डायजेस्ट, अणुव्रत के अलावा देनिक हिन्दुस्तान, दैनिक नवभारत टाइम्स, दैनिक ट्रिब्यून, दैनिक राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जनसत्ता, दैनिक अमर उजाला, दैनिक जागरण के अलावा दैनिक नई दुनिया, भास्कार, पत्रिका, नवभारत, देशबंधु, युगधर्म, अमृत संदेश और समवेत शिखर जैसी अनेक प्रादेशिक समाचार पत्रों में भी छपते रहे। अब तक उनकी सात पुस्तकें क्रमश: पीथमपुर के कालेश्वरनाथ, शिवरीनारायण देवालय और परम्पराएं, श्री शिवरीनारायण माहात्म्य, बच्चों की हरकतें, श्यामा ठाकुर जगमोहनसिंह की रचनाओं का संग्रह छत्तीसगढ़ के साहित्य साधक छ ग संस्कृति विभाग के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित और छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित शिवरीनारायण मोनोग्राफ प्रकाशित हैं। उनकी रचनाधर्मिता के लिए अनेक साहित्यिक संस्थाओं के द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है। उन्हें छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ी सम्मेलन द्वारा हरि ठाकुर साहित्य सम्मान और संस्कार भारती साहित्य सम्मान मिल चुका है। इसी प्रकार आकाशवाणी के रायपुर और बिलासपुर केंद्रों से उनकी वार्ता भी प्रसारित हो चुकी है। उन्होंने अनेक पत्र पत्रिकाओं का संपादन भी किया है। केशरवानी समाज में भी वे सक्रिय हैं। वे केशरवानी वैश्य सभा के प्रदेश रहे हैं और वर्तमान में संरक्षक हैं। इसी प्रकार अखिल भारतीय केशरवापनी वैश्य महासभा में शिक्षा प्रमुख के साथ अभी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। समाज के कमजोर और प्रतिभाशाली बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए दिये जाने वाली संस्था केशरवानी वेलफेयर ट्रस्ट के युगल ट्रस्टी भी हैं। उनके हर उपलब्धियों में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कल्याणी केशरवानी का बराबर का योगदान है।
अक्षर साहित्य परिषद चांपा के द्वारा स्वागत, सम्मान शासकीय मिनीमाता कन्या महाविद्यालय कोरबा से सेवानिवृत होकर अपने चांपा निवास पहुंचने पर उनके स्वजनों और परिवारजनों ने आत्मीय स्वागत किया। उन्हें गुलदस्ता भेंट कर आरती उतारकर स्वागत किया गया। उसके बाद चांपा की साहित्यिक संस्था अक्षर साहित्य परिषद के पदाधिकारियों और सदस्यों ने प्रो.केशरवानी के निवास में आकर स्वागत समारोह का आयोजन किया। फूल माला और गुलदस्ता भेंटकर उनका सम्मान किया। इस अवसर पर उपस्थित डॉ.रमाकांत सोनी, परिषद के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण सोनी, सचिव रामनारायण, शशिभूषण सोनी, अनंत थवाईत और महेश राठौर मलय ने प्रो. केशरवानी की साहित्यिक यात्रा को स्मरण करते हुए सेवानिवृत्ति पश्चात् उन्हें स्वस्थ, दीर्घायु और निर्बाध साहित्य सेवा करने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दी।