तकनीकी सुविधाओं के साथ साइबर अटैक ने पुलिस तंत्र की चुनौतियां बढ़ाई
कोरबा 23 जुलाई। औद्योगिक जिले कोरबा में बढ़ती आबादी और नई इकाईयों की स्थापना के साथ फ्लोटेड पापुलेशन की आमदरफ्त के बीच अलग-अलग प्रकार के अपराधों में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। इसी के साथ अपराध नियंत्रण को लेकर पुलिस का जतन जारी है। इसके ठीक उल्टे संचार युग में हर किसी को मिल रही तकनीकी सुविधाओं के साथ ही साइबर अटैक ने पुलिस के तंत्र की चुनौतियां बढ़ाई है। कोरबा जिला भी इससे अछूता नहीं है। बदलते तौर-तरीकों के साथ दूरदराज में सक्रिय साइबर ठग घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। वहीं तत्वों को हतोत्साहित करने के लिए पुलिस की कोशिश जारी है।
एटीएम ब्लॉक होने से लेकर केवायसी अपडेट करने, अपनी जमीन पर मोबाइल टॉवर की स्थापना करने के साथ-साथ दूसरे हथकंडे अपनाते हुए साइबर अपराधियों के द्वारा बीते वर्षों में लोगों की गाढ़ी कमाई को हड़पने का काम किया गया। ऐसे मामलों में जिले के काफी लोग ठगी का शिकार हुए। बड़े आसान तरीके से पासवर्ड और गोपनीय जानकारी प्राप्त करने में सफल रहे अपराधियों ने ऐसे मामलों को अंजाम दिया। जिले की पुलिस ने अपने एडवांस साइबर नेटवर्क के जरिए ओडिसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में एक्टिव ऐसे कई ठग गिरोहों के बारे में न केवल जानकारी हासिल की बल्कि वहां पर छापेमारी कर कई दर्जन अपराधिक तत्वों को दबोचने का काम भी किया। नतीजा ये हुआ कि अपराधियों ने इस फार्मूले से दूरी बनाई और कम से कम कोरबा जिले में डोरे डालने को लेकर मोह कम किया। कुछ समय तक ठंडा रहने के बाद साइबर क्राइम से जुड़े ऐसे अपराधियों ने कुछ समय पहले नए तरीके पर ध्यान दिया और इसके अंतर्गत लोगों को स्वास्थ्य अपडेट से लेकर दूसरे झांसे देकर चंगुल में फंसाने की कोशिश की लेकिन बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली। जबकि कार्पोरेट सेक्टर से सेवानिवृत्त हुए अथवा वहां काम करने वाले लोगों को भविष्य निधि के बड़े फायदे गिनवाकर उन्हें चपत लगाने का काम बीते वर्ष भी किया गया। अनुसंधान के साथ ऐसे मामलों का खुलासा हुआ और अपराधियों को पुलिस ने अपने कब्जे में लिया। कोरबा जिले में बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष साइबर अपराधों का ग्राफ अप्रत्याशित रूप से कम हुआ है। इसे पुलिस की रणनीतिक कोशिश का नतीजा माना जा रहा है। रिकार्ड बताते हैं कि वर्ष 2023 में ऐसे मामले नगण्य हुए हैं। कहा जा रहा है कि पुलिस की सख्ती और कहीं से भी आरोपियों को धर दबोचने की विशेष टेक्निक संगठित अपराध का संचालन करने वाले गिरोहों पर बेहद भारी पड़ रही है। वे लंबे समय तक जेल में बुक हो रहे हैं और ऐसे में खुद के साथ-साथ अपने करीबियों का केरियर चौपट हो रहा है। इन सब कारणों से गलत रास्ते पर आने वाले तत्व कुल मिलाकर नई दिशा पकडऩे के लिए मजबूर हो गए हैं।
इसी वर्ष कोरबा के सिविल लाइन पुलिस थाना क्षेत्र की सीएसईबी पुलिस ने ठगी के दो मामले दर्ज किये। जिनके जरिए कई चौकाने वाली जानकारी सामने आई। इसमें आरपी ग्रुप के द्वारा लोगों को 100 गुना लाभ दिए जाने का झांसा देकर 50 हजार से लेकर कई लाख रुपए का निवेश करा लिया गया। वर्ष 2016 से ठगी का यह खेल शुरू हुआ था। मेवालाल राठौर एंड कंपनी इसकी सूत्रधार हैं। गिरोह के 4 सदस्य गिरफ्तार हो चुके हैं जबकि दो आरोपी आंखमिचौली करने में लगे हैं। जानकारी के मुताबिक करोड़ों की ठगी के साथ आरोपियों ने घटनाओं को अंजाम दिया है। अब तक लाखों के सामान पुलिस ने जब्त किये हैं जो निवेशकों के धन से अर्जित किये गए थे। इस डिजिटल युग में सायबर अपराध उपर्युक्त सभी चुनौतियों पर बीस साबित होते हैं। अमेरिकी सायबर सुरक्षा फर्म पालो ऑल्टो नेटवक्र्स की वर्ष 2021-2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हुए कुल रैंज़मवेयर हमलों में से 42 प्रतिशत हमलों का सामना करने वाला महाराष्ट्र, इस सूची में पहले स्थान पर है। हर तरह के अपराधों के साथ-साथ साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए पुलिस अपने मौजूदा संसाधन से आवश्यक प्रयास कर रही है और आगे भी करती रहेगी।
यू.उदय किरण, एसपी कोरबा