कोयला चोरी मामला: महिला संबंधी अपराध में फंसाने की धमकी

कोरबा 24 मार्च। एसईसीएल की गेवरा-दीपका खुली खदान कोयला चोरों के लिए अपने अवैध कारनामे को अंजाम देने के मामले में सबसे आसान हो गई है। खबर के मुताबिक यहां से हर रोज लाखों का कोयला पार हो रहा है। चोर गिरोह और उसके लिए काम करने वाले ग्रामीण इसमें पूरी हिम्मत से लगे हुए हैं। कोयला चोरी रोकने का काम एसईसीएल के कर्मी और सुरक्षा बल करता है तो उससे मौके पर अभद्रता की जाती है। इससे भी अलग हटकर महिलाओं को आगे कर कार्यबल को झूठे मामले में फंसाने की धमकी भी दी जा रही है।

खदान क्षेत्रों से होकर किये जा रहे इस तरह के अवैध कारनामों से चोर गिरोह और उसके नीचे काम करने वाले लोग नि:संदेह भारी लाभ कमा रहे हैं। लेकिन इस पूरी कवायद में कुल मिलाकर राज्य सरकार को मिलने वाली रायल्टी से वंचित होना पड़ रहा है और यह राजस्व का नुकसान है। बताया जाता है कि खदान के नजदीक बसे सुआभोड़ी अमगांव, मलगांव से जुड़े कई लोगों, जिनमें किशोर, युवा और महिलाएं शामिल हैं, का उपयोग कोयला चोरी में किया जा रहा है। संगठित तरीके से यह काम जारी है। लगातार इस तरह के मामलों से न केवल प्रबंधन परेशान है बल्कि सुरक्षा बल भी। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कई एंट्री प्वांइट पर अवरोधक लगाने की कोशिश की गई है। दूसरे तौर तरीके भी अमल में लाये जा रहे हैं। इन सबके बावजूद चोरों ने खदान क्षेत्र का भूगोल समझ लिया और वे नए प्वाइंट से न केवल खनन क्षेत्र में उपस्थित हो रहे बल्कि कोयला चोरी को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस को इस बारे में लिखित सूचना दी गई है। जिसमें खास तौर पर इस बात का जिक्र किया गया है कि चोरी रोकने के लिए कोशिश करने पर चोर उचक्के गाली-गलौच और मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। इसके साथ एसईसीएल कर्मियों व सुरक्षा में लगे जवानों को महिला संबंधी अपराध में फंसाने की साजिश रचने के ऐलान भी किये जा रहे हैं। इन कारणों से कार्यबल भयभीत और चिंतित है। कहा गया कि इस तरह की हरकतें न केवल अशोभनीय है बल्कि चोरी चकारी में जुड़े लोगों के असली चरित्र को उजागर भी करती है।

हरदीबाजार पुलिस और एसडीएम कटघोरा को मामले की जानकारी देने के साथ अपेक्षा की गई वह इस काम को रोकने में अपनी भूमिका निभाएं क्योंकि कोयला चोरी होने से केवल एसईसीएल को ही नहीं बल्कि राज्य सरकार के राजस्व को भी बेहद नुकसान हो रहा है। इस बारे में हरदीबाजार थाना प्रभारी से मोबाईल पर संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन प्रभारी ने कॉल रिसिव नहीं किया। इसलिए इस मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर उसका पक्ष नहीं जाना जा सका।

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