हर मंगलवार

कारवां (21 मार्च 2023)

अनिरुद्ध दुबे

बॉटल हाउस, मीरा दातार
और बत्रा का बंगला

राजधानी रायपुर के शंकर नगर से गीतांजलि नगर जाने वाले रास्ते में बॉटल हाउस का टूटना शुरु हो गया है। यह जिस किसी भी कारण से टूट रहा हो इसकी अपनी अलग पहचान तो थी। अस्सी के दशक में जब रायपुर शहर काफ़ी छोटा था, यहां ऑटो नहीं चला करते थे। सिर्फ़ तिपहिये रिक्शे नज़र आया करते थे। किसी भी शहर के जानकार रिक्शे वाले से इतना कहना काफ़ी हुआ करता था कि बॉटल हाउस के पास जाना है, वह एक बार में समझ जाया करता था। अब तो शंकर नगर मंत्रियों व आला अफ़सरों के बंगलों के कारण पहचाना जाने लगा है और आधुनिक बाज़ार संस्कृति के कारण भी। अस्सी के दशक में यही शंकर नगर शाम ढलने के बाद वीराना नज़र आया करता था। तब शंकर नगर की दो बहुत ही ख़ास पहचान थी बॉटल हाउस और मीरा दातार। बाद में शंकर नगर एक और जिस ख़ास चीज के कारण चर्चा में रहा करता था वह बत्रा का बंगला था। उस बंगले का अपना ख़ूबसूरत लुक था। उस बंगले को देखकर फ़िल्मों के कई शौकीन कहा करते थे कि “यार ये बत्रा बंगला तो धर्मेन्द्र की फ़िल्म ‘मां’ में दिखाए गए बंगले की तरह नज़र आता है।“ एक और ख़ास बात यह भी रही थी कि बॉटल हाउस और मीरा दातार जहां आमने-सामने थे, वहीं चंद कदमों की दूरी पर बत्रा का बंगला था। बत्रा परिवार ने अपनी संपन्नता के दिनों में जीई रोड पर एक शानदार होटल खड़ा किया था जो कि अपने सुंदर स्वरूप में अब भी है लेकिन अब उसका मालिक कोई और हो चुका। बत्रा परिवार को आर्थिक व मानसिक चोट पहुंचाने में एक बड़े क़द के नेता ने कोई कसर बाक़ी नहीं रखी थी। कान भरने वालों ने नेता के कान में कह दिया था कि “भैया ये बत्रा का जो हॉटल बन रहा है ना उसकी छत से सीधे आपके फार्म हाउस का स्वीमिंग पुल नज़र आएगा।“ बस फिर क्या था भैया ने उस हॉटल के निर्माण में बाधा खड़ी कर दी। लंबे समय तक हॉटल निर्माण का काम रूके पड़े रहा। इधर बत्रा परिवार पर बैंक के लोन का मीटर लगातार घूम रहा था। बत्रा परिवार के एक बेहतरीन पर्सनैलिटी वाले युवक ने बड़े क़द के नेता के सामने अपनी बात रखने की कोशिश की थी लेकिन समाधान निकलने में लंबा वक़्त लग गया। जिस राजनीतिक शख़्स ने भैया से मुलाक़ात के लिए बत्रा परिवार के उस युवक को घंटों इंतज़ार करवाया था वह आज रायपुर में एक बड़े पद की शोभा बढ़ा रहा है। वक़्त गुज़रने के साथ ही बत्रा परिवार के हाथ से वह हॉटल तो गया ही बंगला भी गया। आगे चलकर बड़े क़द के नेता ने अपना भयानक राजनीतिक पतन देखा। जहां बत्रा बंगला था आज वहां छह मंज़िला कामर्शियल कॉम्पलेक्स खड़ा हो चुका है। अब बॉटल हाउस भी ज़मींदोंज़ हो जाएगा। आगे रहेंगी तो सिर्फ़ कहानियां।

पीएम आवास के बाद अब
अगले मुद्दे पर चिंतन शुरु

हाल ही में भाजपा व्दारा किया गया विधानसभा घेराव आंदोलन भारी चर्चा में रहा। भाजपा का आरोप है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से राज्यांश नहीं दिए जाने के कारण प्रदेश के क़रीब 16 लाख ग़रीब परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ले पाने से वंचित हैं। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि “भाजपा व्दारा दिए गए आंकड़े कहीं से विश्वसनीय नहीं हैं। प्रदेश सरकार अपने स्तर पर जनगणना कराएगी और अपनी ओर से पूरा प्रयास करेगी कि आवास के लिए जो भी पात्र लोग हैं उन्हें इसका लाभ मिले।“ वैसे तो साल भर से लगातार भाजपा की तरफ से आंदोलन हो ही रहे हैं लेकिन माना यही जा रहा है कि दो ही आंदोलन ऐसे रहे हैं जिनकी सबसे ज़्यादा चर्चा रही। पहला बड़ा आंदोलन बेरोजगारी को लेकर पिछले साल हुआ था और दूसरा प्रधानमंत्री आवास को लेकर अब हुआ है। जहां तक बेरोजगारी को लेकर आंदोलन की बात थी तो कांग्रेस ने ज़ोर देकर कहा था कि विपक्ष मुद्दा विहीन है। कुछ नहीं तो बेरोजगारी को लेकर ही आंदोलन खड़े कर दिए। अब जब पीएम आवास को लेकर आंदोलन हुआ है तब भी कांग्रेस यही कह रही है कि भाजपा के पास कोई मुद्दा ही नहीं बचा है। वहीं अंदर की ख़बर रखने वाले बता रहे हैं कि पहली बार भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर एवं सह प्रभारी नितिन नवीन छत्तीसगढ़ में अपनी इस पार्टी के बड़े आंदोलन से संतुष्ट नज़र आए हैं। जानकार लोगों के मुताबिक़ ओम माथुर एवं नितिन नवीन ने स्पष्ट कह रखा है कि प्रधानमंत्री आवास वाले इस मुद्दे की गूंज छत्तीसगढ़ के कोने-कोने तक सुनाई देनी चाहिए। बताया यह भी जा रहा है अगले कौन से मुद्दे को लेकर बड़ी ज़मीनी लड़ाई लड़नी है इस पर भी भाजपा के भीतर चिंतन मनन शुरु हो गया है। 24 मार्च को विधानसभा का बजट सत्र खत्म हो जाना है। हो सकता है कि उसके बाद भाजपा की ओर से और कोई नया बड़ा मुद्दा गूंजना शुरु हो जाए।

बेरोजगारी पर
महंत की चिंता

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत का व्यक्तित्व और राजनीतिज्ञों से अलग हटकर रहा है। कड़ी से कड़ी बात को भी बिना उत्तेजित हुए धीमे अंदाज़ में कहने का हुनर उन्हें आता है। बात गुरुवार की है जब विधानसभा में प्रश्नकाल चल रहा था। प्रदेश में कितने बेरोजगार पंजीकृत हैं और किस कंपनी ने छत्तीसगढ़ के बेरोजगारों के आंकड़े पेश किए इस पर गंभीरता से चर्चा हो रही थी। वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय चंद्राकर की तरफ से सवाल पर सवाल हो रहे थे वहीं उच्च एवं तकनीकी शिक्षा तथा रोजगार मंत्री उमेश पटेल बेधड़क ज़वाब दे रहे थे। इस बीच खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत कह बैठे कि “चंद्राकर जी और कितने सवाल करेंगे। 15-20 से ऊपर अनुपूरक प्रश्न पूछ चुके हैं।“ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने खरे अंदाज़ में कहा कि “यह छत्तीसगढ़ के बेरोजगारों के भविष्य से जुड़ा मामला है। इसके लिए 2,3,4,5 जितना ज़रूरी समझूंगा प्रश्न करने की अनुमति दूंगा।“ यही नहीं डॉ. महंत ने खुद से होकर बेरोजगारी से जुड़े आंकड़ों पर मंत्री उमेश पटेल से सवाल किए।

कन्फ्यूज़ करने वाली
रायपुर की वीआईपी रोड

राजधानी रायपुर में जीई रोड से एयरपोर्ट की तरफ जाने वाली अजीबो ग़रीब रोड को कोसते तो सभी हैं लेकिन आवाज़ कोई नहीं उठाता! सबसे ज़्यादा तो मंत्रियों व आला अफ़सरों का इस वीआईपी रोड से गुज़रना होता है लेकिन किसी बदनुमा तस्वीर की तरह बनी इस रोड के बारे में बोले कौन! देर से ही सही अब जाकर खुलकर किसी नेता ने बोला है। रायपुर उत्तर विधायक कुलदीप जुनेजा सीधे विधानसभा में मंत्रियों व अन्य विधायकों के बीच इस पर जमकर बोले। कुलदीप जुनेजा ने सदन में कहा कि “हमारे यहां जो वीआईपी रोड है ऐसी रोड पूरे हिन्दुस्तान में कहीं देखने नहीं मिलेगी। इस रोड में 3 रोड हैं। दो तरफ सर्विस रोड और उसके बीच एक रोड। रोड ऐसी की हर आदमी कन्फ्यूज़ रहता है। आए दिन यहां एक्सीडेंट होते रहते हैं। कोई बाहर से आए तो दिखा सकते हैं कि देखो हमारे यहां कैसी तीन रोड हैं। इसे तो पर्यटन स्थल घोषित कर देना चाहिए। दोनों तरफ जो सर्विस रोड बनी भी हैं तो वह बड़े-बड़े शादी के भवनों और होटलों के लिए हैं। यहां पर ग़रीब जनता के लिए एक अलग से सर्विस रोड बना देना चाहिए।“ जुनेजा ने जिस वी आई पी रोड की बात की है वाक़ई उसकी शक्ल बदल देने की ज़रूरत है।

शराब पर टकराव

भरतपुर-सोनहट के विधायक गुलाब कमरो ने विधानसभा में आरोप लगाया कि “मेरे क्षेत्र में खुलेआम अवैध तरीके से शराब बिक रही है। नेशनल हाईवे पर क्लब संचालित है। क्लब के कारण एनएच सड़क पर गाड़ियां खड़ी रहती हैं। मध्यप्रदेश से शराब लाकर यहां बेची जा रही है। मैं स्वयं शराब नहीं पीता। चुनाव का समय है। मेरी छवि खराब हो रही है। अवैध शराब के इस धंधे को तत्काल बंद कराएं।“ गौर करने लायक बात यह है कि गुलाब कमरो सत्ता पक्ष के यानी कांग्रेस विधायक हैं। चुनावी घोषणा पत्र में वादे के बाद भी सरकार शराब बंद नहीं कर रही ऐसा आरोप भाजपा के लोग लगातार लगा ही रहे हैं। आख़िर क्या कारण है कि गुलाब कमरो को संसदीय मंदिर विधानसभा में अपनी पीड़ा व्यक्त करनी पड़ी! अंदर की ख़बर रखने वाले तो यही बताते हैं कि गुलाब कमरो ने जिस क्लब की बात की वह किसी कांग्रेसी का ही है। क्लब के मालिक के भाई राजनीति के क्षेत्र में बड़ा नाम हो चुके हैं। इन बड़े नाम वाले नेता का दारू तो नहीं लेकिन दवा से गहरा रिश्ता है। कहा यही जा सकता शराब के अड्डे को लेकर दो कद्दावर कांग्रेसी आपस में टकरा गए हैं।

कारवां @ अनिरुद्ध दुबे, सम्पर्क- 094255 06660

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