मानिकपुर खदान में कोयला परिवहन ठप: रोजगार की मांग को लेकर 7 गांवों के भू-विस्थापित धरने पर बैठे

कोरबा 30 अक्टूबर। कोरबा जिले के 7 गांवों के भू-विस्थापितों ने मानिकपुर खदान में कोयला परिवहन बंद करा दिया है। शनिवार को भी उनका विरोध-प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारी एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया जाए और खेतों में मिट्टी फिलिंग को बंद किया जाए।

दादर खुर्द, भिलाई खुर्द, बरबसपुर, ढेलवाडीह सहित अन्य गांव के सैकड़ों लोग मानिकपुर खदान पहुंचकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को भी ग्रामीणों ने एसईसीएल साइडिंग में काम बंद करा दिया था। तब सूचना मिलने पर एसईसीएल मानिकपुर के उप महाप्रबंधक अजय तिवारी वहां पहुंचे थे, जहां भू-विस्थापितों के साथ उनकी वार्ता फेल हो गई थी। वहीं शनिवार को कोयला परिवहन बंद होने से एसईसीएल प्रबंधन को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

ग्रामीणों का कहना है कि एसईसीएल प्रबंधन ने पहले ही जिन ग्रामीणों की जमीन ली थी, उन्हें न तो मुआवजा दिया और न ही पुनर्वास की व्यवस्था की है। ऐसे में नए सिरे से कई किसानों के खेतों में मिट्टी फिलिंग का काम कराया जा रहा है, जो गलत है। कृषि कल्याण परिषद के सदस्य अमन पटेल ने बताया कि एसईसीएल ग्रामीणों के साथ हमेशा से छलावा करती आ रही है। एसईसीएल के द्वारा दादर बस्ती के पास कोयला साइडिंग का निर्माण कर रही है, जो अनुचित है। जिस कम्पनी को काम दिया गया है, वो बाहर से मजदूर लेकर आई है। स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है, जबकि जमीन उनकी गई है।

दरअसल जमीन के अधिग्रहण के समय एसईसीएल ने गांव के बेरोजगारों को नौकरी देने की बात कही थी, लेकिन अब प्रबंधन अपने वादे से मुकर रहा है, जिसे लेकर सभी ग्रामीण आंदोलन पर उतर आए हैं। लोगों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे। वहीं ग्रामीणों का ये भी कहना है कि प्रबंधन गांव के करीब 20 किसानों के खेतों में बिना सूचना दिए मिट्टी फिलिंग का काम करवा रहा था। इस बात की जानकारी होने पर खदान के भीतर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल ने पुराने मामलों का अब तक निराकरण नहीं किया गया है, फिर नई जमीन को किस आधार पर लिया जा रहा है, उप महाप्रबंधक अजय तिवारी ने बताया कि जिस जमीन को लेकर विवाद हो रहा है, उसका निपटारा जब तक नहीं हो जाता, तब तक काम बंद किया जाता है। प्रशासन द्वारा विवाद का निपटारा करने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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