स्कूलों में पहुंचा गणवेश: आवंटन होने के बाद भी हड़ताल के कारण गणवेश से वंचित

कोरबा 27 जुलाई। शैक्षणिक सत्र शुरू होने के डेढ़ माह बाद सरकारी स्कूलों में अब जा कर गणवेश पहुंचना शुरू हुआ है। शिक्षकों के हड़ताल पर होने की वजह से स्कूल के पट बंद है। मध्यान्ह भोजन व पढ़ाई से बच्चे पहले से ही दूर हो चुके है। अब आवंटन होने के बाद भी गणवेश से वंचित हैं।

दो सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले कर्मचारियों का हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रहा। पांच दिन तक चलने वाले हड़ताल ने प्रशासनिक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। सबसे अधिक अहित छोटे बच्चों को हो रहा है। स्कूल के पट बंद होने से वे पढऩे नहीं जा पा रहे हैं। कोरोना काल से बेपटरी हो चुकी शिक्षा फिर पटरी पर आने की उम्मीद की जा रही है लेकिन हड़ताल ने इस पर पानी फेर दी है। पहले दिन केवल शिक्षक ही हड़ताल पर थे दूसरे दिन प्राचार्य भी शामिल हो गए। तानसेन घंटा घर चौक में हल्लाबोल हड़ताल की सूचना के बावजूद प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है। काम बंद कलम बंद हड़ताल के दूसरे दिन भी प्रशासन के तमाम विभागों में ताले लटके नजर आए। स्कूलों में प्रवेशोत्सव, तहसील कार्यालयों में राजस्व मामलों का निपटारा, कलेक्टोरेट कार्यालय में विभागीय योजनाओं की समीक्षा के लिए मिलने वाली जानकारी आदि ठप हो गई हैं। पहले दिन की तहर कार्यालयों में सन्नाटा पसरने के साथ कामकाज ठप रहा। मंगलवार को तानसेन चौक धरना स्थल में हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों का संबोधन दूसरे दिन भी जारी रहा। पुरूषों की तुलना में महिला कर्मचारियों की उपस्थिति कम रही है। हड़ताल को सशक्त बनाने के लिए के कर्मचारी गीत, कविता के माध्यम से अपनी बातों को रख रहे हैं।

सरकारी स्कूलों ताला लगा हैं वहीं निजी स्कूलों में पढ़ाई जारी है। इसका असर परीक्षा परिणाम पर होगा। निजी स्कूल की तुलना में प्रतिभावान बच्चों को प्रतिस्पर्धा में मात खानी पड़ेगी। बनाता होगा कि संविदा कई स्कूलों में संविदा शिक्षक नियुक्त हैं। जिनके भरोसे स्कूलों का संचालन किया जा सकता था लेकिन खंड शिक्षा अधिकारियों के हड़ताल पर होने से निरीक्षण संभव नहीं। ऐसे भी स्कूलों के पट बंद हैं। जिला शिक्षा विभाग वार्षिक टाइम टेबल जारी किया है, जिसके अनुसार कोर्स पिछड़ चुका है।

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