हर बुधवार 01 जून 2022

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

कांग्रेस नेता डॉक्टर चरणदास महन्त ने दो दशक पहले एक नारा का ईजाद किया था। वह नारा है- छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया। अभी तक यह केवल नारा ही समझ में आता था। परंतु अब यह प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है। राज्यसभा की दो सीट खाली हो रही है। इसे भरने के लिए चुनाव घोषित हो चुका है। प्रदेश में इस पद के लिए कांग्रेस नेताओं की लम्बी कतार दिख रही थी। विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर चरणदास महन्त तक कई मौकों पर राज्यसभा जाने की इच्छा व्यक्त कर चुके थे। लेकिन न तो महन्त को टिकट मिली न ही प्रदेश के किसी अन्य नेता को। टिकट मिली दिल्ली दरबार के दो दरबारियों को। उड़न खटोले में बैठकर दोनों छत्तीसगढ़ आ गए और उन्होंने पर्चा भी दाखिल कर दिया। इस बीच छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता कोई प्रतिक्रिया तक व्यक्त नहीं कर सके। सभी आज्ञाकारी बच्चों की तरह खामोश हैं। अब समझ में आ रहा है कि डॉक्टर चरणदास महन्त ने वर्षों पहले बिल्कुल ठीक नारा का ईजाद किया था। वाकई पूरे भरोसे के साथ कहा जा सकता है- छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया।

दिल के अरमा………😂

कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉक्टर चरणदास महन्त को चार दशक से भी लम्बा राजनीतिक अनुभव है। वे अविभाजित मध्यप्रदेश में विधायक और मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने संसद में भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है और केन्द्र सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष हैं। मतलब उन्होंने सभी प्रतिष्ठित राजनीतिक पदों का सुख भोग लिया है। बस एक पद रह गया है- राज्यसभा सदस्य का। छत्तीसगढ़ में राज्यसभा के चुनाव निकट आते ही उन्होंने राज्यसभा में जाने की इच्छा जताई थी। एक बार नहीं, बल्कि की बार। लेकिन हाईकमान तक वे अपनी इच्छा पहुंचाने में नाकाम रहा गये? हालाँकि उनकी सांसद पत्नी श्रीमती ज्योत्स्ना महन्त ने टिकट वितरण से पहले ही कह दिया था कि महन्त जी राज्यसभा नहीं जाएंगे, बल्कि प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहेंगे और अपने वर्तमान दायित्व का निर्वहन करते रहेंगे। बहरहाल, डॉक्टर चरणदास महन्त को समझना आसान नहीं है। वे राजनीतिक शतरंज की बिसात पर बादशाह से लेकर प्यादे तक की चाल में चलते दिख सकते हैं। वे वास्तव में राज्यसभा जाना चाहते थे या नहीं कहना कठिन है। लेकिन लोग तो उसे ही सही मानते हैं, जो आंखों से दिखता है और कानों से सुना जाता है। लिहाजा उन्होंने जो कहा उसे सच मान लें तो उन पर ये फिल्मी गीत सटीक बैठता है- दिल के अरमा……!

(साभार)

बात हे अभिमान के……..

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजपाट सम्हालने के बाद छत्तीसगढ़िया वाद को भरपूर पल्लवित पुष्पित करने का प्रयास किया। गांव- गोठान, धान- किसान से लेकर नरवा, गरुआ, घुरवा, बारी और बोरे- बासी तक को छत्तीगढिया की पहचान बताने- स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ा। सी एम ने तो यह लुभावना नारा भी दिया- बात हे अभिमान के, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के। लेकिन राज्यसभा चुनाव में न तो छत्तीसगढ़ का अभिमान रहा न ही स्वाभिमान। राज्यसभा में दो छत्तीसगढ़ियों से जो कुर्सी खाली हो रही है वो दोनों ही कुर्सी गैर छत्तीसगढ़ियों को हाईकमान ने सौंप दी है और सी एम कुछ कह भी नहीं पाए। ऐसे में सी एम से कोई पूछ भी सकता है- ये छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान को…….?

(साभार)

सुशील भोले कहिस……..

जब तक दिल्ली म बइठे हे, तोर भाग के खेवनहार
तब तक बेटा छत्तीसगढिय़ा, कइसे पाबे तैं अधिकार..

तोर घर अउ तोरे अंगना, फेर नीति वोकर चलत हे
एकरे सेती जम्मो बाहिरी तोर अधिकार ल लूटत हें
वोकर इहां जतका मोहरा हें, करथें भावना के बैपार….

राष्ट्रीयता के माने नोहय, इहां के मुंह म पैरा बोजंय
अउ चारों मुड़ा के पद-पइसा ल, अंखमुंदा उन लूटंय
अब तो चेत जा परबुधिया, अपन-बिरान के कर चिनहार…

अपन हाथ म राज लिए बर, अपन फौज बनाना परही
जे मन दोगलाही करथें, उंकरो मौत मनाना परही
कतकों मीत-मितानी होवय, तभो कतर रे जस कुसियार…साभार- सुशील भोले-9826992811

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एक छत्तीसगढ़िया कांग्रेसी की प्रतिक्रिया

अब हमर कांग्रेस के सीधा सादा गौ कस प्रदेश अध्यक्ष के हालत ला समझा… छत्तीसगढ़िया के अपमान ला समझ के भी ओला अलाकामान के रिकॉर्ड ला बजाना पड़त हावे – ओ हर बार बार दोहरात हे के कांग्रेस पार्टी हर सब ला बहोत दे हे, अब पार्टी ला दे के समय आ गए हे.. अब त्याग करे के जरूरत हे। अब मरकाम जी के इशारा कोन कति हे ओला तो ओहि बताहि, पर छत्तीसगढ़ प्रदेश मा कांग्रेस हर सब कुछ एकच व्यक्ति ला दे हावे ये बात ला सब जानत हावे।
अब दाऊजी के चेला चपाती मन ला मरकाम जी के बयान पसंद नही आत हे। ओमन ला डर हे के कही त्याग- त्याग के चक्कर मा दाऊजी ला खुर्सी मत त्यागना पड़े..। राज्यसभा के प्रत्याशी चयन मा दाऊजी के पूछारी नही हुईस, तब ले त्याग अउर पार्टी के निर्णय जैसे शब्द/ वाक्य ला सुन के दाऊजी के चेला मन भारी घबरा जात हे।

अब जे कांग्रेसी मन दूर ले बैठ के मजा लेत हे, ओमन आसा लगाये हे के राज्यसभा चुनाव बाद प्रदेश मा बदलाव आहि अउर कोई हर बहुत बड़ा त्याग करहि..?? अब ये सब तो आने वाला समय हीं बताहि, फेर मानना तो पड़ही के वाकई सच हे के छत्तीसगढ़िया सब ले बढ़िया.. अब अतना अपमान हो गे, 15 साल के वनवास काटिन, काम धंधा कमजोर हो गे, खुद के सरकार आइस तो भी पूछारी नही हे फिर भी कांग्रेस पार्टी के निर्णय स्वीकार हे। अतना अपमान सहे के बाद भी केंद्र मा कांग्रेस ला मजबूत करे के ठेका जैसे छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मन ले हावे। कही मजबूत करे के आड़ मा कांग्रेसिआ मन दाऊजी ला तो नही निपटा देहि?? मालूम हे ना कि दाऊजी के चेला चपाटी हर ए बात के ढिंढोरा देश विदेश मा भी पिटत आए हावे के छत्तीसगढ़ मा कांग्रेस ला सिर्फ दाऊजी जिताये हे। शायद अब छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी अलाकामान ला समझाना चाही के अब दाऊजी के जरूरत राष्ट्रीय स्तर पर हावे… दाऊजी ला मौका मिलना चाही। दाऊजी ह दिल्ली जीता सकत है। राहुल गांधी ल प्रधानमंत्री बन सकता है। दाऊजी ल एक मौका मिलना ही चाही। दाऊजी के दिल्ली मा मान सम्मान बढ़ही तो छत्तीसगढ़िया मन के मान सम्मान बढ़ही। छत्तीसगढ़िया अस्मिता के मान बढ़ही। दाऊजी खुद कई बार बोले हे के पार्टी बर वो कोई भी त्याग करे बर तैयार हे। अब दाऊजी ला मौका मिलना चाही। जो दाऊजी ला मौका नही दिहा तो ये अपमान छत्तीसगढ़िया कांग्रेसी मन नही सहन करे….!

मिर्ची @ गेंदलाल शुक्ल, सम्पर्क- 098271 96048

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