खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही पालीथिन

कोरबा 15 अक्टूबर। शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों की मौजूदा कक्षा में बौद्धिक एवं शैक्षिक स्थिति का आंकलन करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसी क्रम में कार्यक्रम के लिए अधिकृत विषय विशेषज्ञों ने उतरदा स्कूल में एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान बच्चों के आंकलन के साथ उन्हें पालीथिन के उपयोग को जीवन से दूर करने प्रेरित किया। उन्हें जानकारी दी गई कि पालीथिन व प्लास्टिक हमारी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर किस तरह से प्रकृति और पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे।

शिक्षा गुणवत्ता अभियान एवं एनएएस कार्यक्रम के तहत विद्यालयों का निरीक्षण किया जा रहा। इसी क्रम में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उतरदा में हाथ धुलाई कार्यक्रम एवं से नो टू प्लास्टिक बैग कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में डाइट कोरबा से व्याख्याता गौरव शर्मा, विद्यालय के समस्त व्याख्यातागण एवं कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम में व्याख्याता राकेश टंडन ने पालीथिन एवं पालीथिन के माइक्रो पालीथिन में बदलने की प्रक्रिया को बताते हुए कहा कि यह हमारे जीवन के लिए बहुत नुकसान दायक है। यह फसलों के लिए भी यह नुकसानदायक है। यह हमारी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर प्रकृति को नुकसान पहुंचाती है। डाइट कोरबा के व्याख्याता एवं राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक गौरव शर्मा ने बताया कि किस तरह प्लास्टिक के उपयोग से कैंसर से संबंधित समस्या होती है। उन्होंने बच्चों से आग्रह किया कि वे प्लास्टिक बैग एवं प्लास्टिक से संबंधित अन्य सामग्रियों का उपयोग न करें।

शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल उतरदा के व्याख्याता सुधीर कुमार चंद्रा ने हाथ धुलाई के विभिन्ना तरीकों को बताते हुए बच्चों को स्वच्छता से संबंधित जानकारी प्रदान किया। व्याख्याता पीपी अंचल ने प्लास्टिक के उपयोग न करने संबंधित दोहा का पाठ किया। प्रभारी प्राचार्य जीपी लहरे ने भी आग्रह किया कि छात्र स्वच्छता रखें। बाजारों में कपड़ा या जूट का थैला लेकर जाएं। हेल्थ केयर के छात्र-छात्राओं ने चिकित्सालय में किस तरह से पेशेंट का बेड बनाया जाता है व हार्ट अटैक होने पर किस तरह से प्राथमिक उपचार किया जाता है, इसके बारे में डेमो कर जानकारी दी।

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