ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले के भंडार की स्थिति पर विद्युत मंत्रालय का वक्तव्य
नईदिल्ली 12 अक्टूबर। कोयला मंत्रालय के नेतृत्व में एक अंतर-मंत्रालयी उप-समूह सप्ताह में दो बार कोयला स्टॉक की स्थिति की निगरानी कर रहा है। कोयले के स्टॉक के प्रबंधन और कोयले के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए बिजली मंत्रालय ने दैनिक निगरानी हेतु 27.08.2021 को एक केन्द्रीय प्रबन्धन दल (कोर मैनेजमेंट टीम-सीएमटी) का गठन किया है,जिसमें विद्युत मंत्रालय, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन (पीओएसओ सीओ), रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के प्रतिनिधि शामिल थे। सीएमटी दैनिक आधार पर कोयले के भंडारों (स्टॉक) की बारीकी से निगरानी और प्रबंधन कर रहा है और बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में सुधार के लिए कोल इण्डिया लिमिटेड (सीआईएल) और रेलवे के साथ मिलकर अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित कर रहा है।
केन्द्रीय प्रबंधन दल (सीएमटी) ने कल 9 अक्टूबर, 2021 को हुई अपनी बैठक में स्थिति की समीक्षा की। यह देखा गया था कि 7 अक्टूबर, 2021 को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा कोयले का कुल प्रेषण 1.501 मीट्रिक टन तक पहुंच गया तथा जिससे खपत और वास्तविक आपूर्ति के बीच का अंतर कम हो गया। कोयला मंत्रालय और सीआईएल ने आश्वासन दिया है कि वे अगले तीन दिनों में बिजली क्षेत्र में कोयले के प्रेषण को बढ़ाकर 1.6 मीट्रिक टन प्रति दिन करने के लिए सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं और उसके बाद इसे प्रति दिन 1.7 मीट्रिक टन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे निकट भविष्य में बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार में क्रमिक वृद्धि करने में सहायता मिलने की संभावना है, साथ ही कोयले की आपूर्ति के साथ-साथ बिजली की स्थिति में भी सुधार होने की संभावना है।
बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार में कमी होने के चार कारण हैं- अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि; सितंबर, 2021 के दौरान कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश से कोयला उत्पादन के साथ-साथ खदानों से कोयले की ढूलाई और प्रेषण पर प्रतिकूल प्रभाव, आयातित कोयले की कीमतों में अभूतपूर्व उच्च स्तर तक वृद्धि के कारण आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से बिजली उत्पादन में पर्याप्त कमी आई जिससे घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ गई, मानसून की शुरुआत से पहले पर्याप्त कोयला स्टॉक का निर्माण न करना। कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश,राजस्थान और मध्य प्रदेश से कोयला कंपनियों को भुगतान के भारी बकाया के पुराने मुद्दे भी हैं।
कोविड की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में उछाल के कारण बिजली की मांग और खपत में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। बिजली की दैनिक खपत प्रति दिन 4 अरब (बिलियन) यूनिट से अधिक हो गई है और इसकी 65% से 70% मांग कोयले से चलने वाली बिजली उत्पादन से ही पूरी हो रही है, जिससे कोयले पर निर्भरता बढ़ रही है।
अगस्त-सितंबर की अवधि के लिए बिजली की खपत 2019 के 106.6 बीयू प्रति माह (सामान्य गैर-कोविड वर्ष) से बढ़कर 2021 में 124.2 बीयू प्रति माह हो गई है। इस अवधि के दौरान कोयला आधारित उत्पादन की हिस्सेदारी भी 2019 के 61.91% से बढ़ कर 2021 में 66.35% तक पहुँच गई है। परिणामस्वरूप, अगस्त-सितंबर, 2021 के महीने में कुल कोयले की खपत 2019 की इसी अवधि की तुलना में 18% बढ़ गई है।
इंडोनेशियाई कोयले की आयातित कोयले की कीमत 5000 जीएआर (सकल रूप में प्राप्ति) कोयले के लिए मार्च-2021 के 60 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से बढ़कर $ सितम्बर/अक्टूबर 2021 में 160 अमेरिकी डॉलर प्रति टन हो गई है। आयात प्रतिस्थापन और आयातित कोयले की बढ़ती कीमतों के कारण 2019-20 की तुलना में अब कोयले के आयात में भी कमी आई है। आयातित कोयले की कमी की भरपाई घरेलू कोयले से बिजली उत्पादन के लिए की जाती है और इससे घरेलू कोयले की मांग और बढ़ जाती है। 2019 की तुलना में आयातित कोयले से बिजली उत्पादन में 43.6% की कमी आई है और जिसके कारण अप्रैल-सितंबर, 2021 के दौरान 17.4 मिलियन टन घरेलू कोयले की अतिरिक्त मांग हुई।
विद्युत मंत्रालय ने विद्युत ग्रिड में आवश्यकताओं के अनुसार उत्पादन संयंत्रों के बेहतरीन उपयोग हेतु संचालन के लिए 8 अक्टूबर, 2021 को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों से पर्याप्त कोयला भंडार वाले आयातित कोयला आधारित संयंत्रों को संचालित करने और घरेलू कोयले पर बोझ को कम करने में सहायता मिलेगी।