अंडो से निकले अजगर के 11 बच्चे, छोड़ा गया जंगल में

कोरबा 7 जुलाई। जिला सांपो को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहा हैं, कोरबा जिले में जिस तरह अनेक दुर्लभ प्रजातिया मिल रहें इस बात को दर्शाता हैं की कोरबा का जंगल सांपो के लिए बहुत अनुकूल हैं साथ ही जैव विविधता से भरा पड़ा है, सांपो के साथ अन्य जीव भी लागातार कोरबा जिले में मिलते आए हैं। इनके संरक्षण के लिए कोरबा वन मण्डल लगातार अपने कार्य योजना बना कर कार्य कर रहा हैं। फिर एक बार कोरबा वन मण्डल को एक बड़ी कामयाबी मिली है।

27 मई को कोरबा मुख्यालय से 35 किलोमिटर दूर सोहगपुर गांव पंचपेड़ी से ग्रामीणों के द्वारा सूचना की अजगर और उसके अंडो को लोगों से खतरा और साथ ही इन्सानों को भी उस अजगर से खतरा होने की वजह से 15 अंडो के साथ मादा अजगर को सुरक्षित रेस्क्यू कर कोरबा वन मण्डल लाया गया था और डीएफओ श्रीमति प्रियांका पाण्डेय के निर्देश पर अजगर के लिए एक घर बना कर अजगर के खाने-पीने की व्यवस्था की गई। कमरे का तापमान अंडो के लिए सही रहें इसके लिए 100 वाल्ट का बलब लगाया गया, फिर उस अंडो को रख दिया गया और अजगर को वही छोड़ा गया पुनःमादा अजगर ने अपनें अंडो को सुरक्षा घेरे ले ली थी। देख-रेख की जिम्मेदारी जितेंद्र सारथी को सौंपी थी। उनकी टीम लागातार देख रेख में लगे रहें, साथ ही कोरबा डीएफओ श्रीमति प्रियांका पाण्डेय भी खुद भी आकार अजगर और उसके अंडो का जायजा लेती रहीं। लागातार 67 दिन देख भाल किया गया। 67 दिन बाद अंडो से अजगर के बच्चे बाहर निकले। मादा अजगर के साथ बच्चों को सुरक्षित जंगल में छोडऩे की योजना बनाई गईं, फिर बड़ी सावधानी से मादा अजगर को काबू में करते हुए सभी 11 बच्चों को एक कार्टून में रखा गया, और दूर जंगल में ले जाकर छोड़ दिया गया। इस दौरान डीएफओ प्रियंका पाण्डेय एसडीओ आशिष खेलवार, रेंजर सीयाराम करमाकर साथ थे। डीएफओ श्रीमति प्रियांका पाण्डेय ने कहा यह पुरा प्रोजेक्ट बहुत बड़ा चैलेंज था हमारे लिए जो की सफल रहा। विभाग के हर एक व्यक्ति ने अपनी 100 प्रतिशत जिम्मेदारी निभाई।

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