पूर्व सैन्य कर्मी ने 40 लोगों के लिए पैदा किया रोजगार, बागवानी फसल से अर्जित की आय
कोरबा 30 मई। समय को लेकर लोग अकसर शिकायत करते रहते है लेकिन सकारात्मक सोच रखने वाले हर समय के साथ खुद को सहज करने के साथ संभावनाएं तलाशने में भी सफल हो जाते है। लॉकडाउन पीरियड में कई तरह की समस्याओं को लेकर तनाव झेलने की खबरों के बीच कोरबा जिले में पूर्व सैन्य कर्मी ने 40 लोगों के लिए रोजगार पैदा किया। बेहतर ढंग से बागवानी फसल लेकर अच्छी खासी आय अर्जित की। वे दूसरों के लिए प्रेरक बन गये है।
जिले के बांकीमोंगरा क्षेत्र में 7 एकड़ भूमि पर तरबूज और खरबूज की खेती करने के साथ रामकुमार केंवट ने इस बार गजब का प्रदर्शन किया। वर्तमान में एसईसीएल ढेलवाडीह में कार्यरत इस व्यक्ति ने अपने आत्मबल और हुनर के जरिए यह सफलता प्राप्त की। कंपनी में ड्यूटी करने के बाद बचे हुए समय का सदुपयोग बागवानी को दिया। उनके पिता एसईसीएल में पहले नियोजित थे। जबकि रामकुमार भारतीय सेना के हिस्सा थे। पिता के निधन के बाद उन्होंंने सेना से विदा ली और एसईसीएल में जुड़ गये। अपनी पैतृक जमीन को और ज्यादा उपयोगी बनाने के लिए काम किया गया। सुरक्षा के तौर पर इस बड़े परिसर की घेराबंदी वारवेट वायर से कराई। उत्तम कोटी के बीज यहां पर डाले गये। 1 हजार से अधिक पौधों को तैयार करने के लिए समय दिया। बड़ी बात यह है कि उन्होंने क्षेत्र के 40 लोगों को कठिन समय में रोजगार दिया। बताया गया कि उन्होंने रोज 1 ट्रेक्टर फसल को बाजार में भिजवाने की व्यवस्था की। जबकि बीच में बिगड़े मौसम के कारण 11 ट्रेक्टर फसल खराब हो गई।
बागवानी फसलों से अच्छी पैदावार लेने के लिए तौर तरीके भी अलग होते है। एक तो इनके लिए समय कम देना होता है और पानी की कम जरूरत होती है। मोंगरा बस्ती क्षेत्र में इस कार्य को करने वाले प्रगतिशील किसान ने अध्ययन के साथ काम भी किया। उन्होंने बीज लगाने से पहले योजना बनाई। यहां पर ड्रिप सिस्टम को असेंबल किया। इससे पौधों को जितनी मात्रा में पानी चाहिए था, उसकी पूर्ति की गई। अच्छी पैदावार होने के साथ जहां उत्पादक को लाभ हुआ वहीं कुछ नुकसान भी हुए। इन सबके बावजूद डेढ़ महीने तक प्रतिदिन 5 हजार के फल जन सामान्य को उपहार के तौर पर उपलब्ध कराये गये। इसमें कोविड मरीज भी शामिल है।