वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन पर मेंबर के आपत्ति- जनक पोस्ट के लिए आपराधिक कार्यवाही नहीं हो सकती

मुम्बई से नरेंद्र मेहता

मुंबई 27 अप्रैल। बॉम्‍बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा है कि वॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन पर दूसरे मेंबर की तरफ से किए गए आपत्तिजनक पोस्ट के लिए आपराधिक कार्यवाही नहीं हो सकती। इसके साथ ही अदालत ने 33 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले को खारिज कर दिया। आदेश पिछले महीने जारी हुआ था और इसकी प्रति 22 अप्रैल को उपलब्ध हुई है।

न्यायमूर्ति जेड हक और न्यायमूर्ति एबी बोरकर की पीठ ने कहा कि वॉट्सऐप के एडमिनिस्ट्रेटर के पास केवल ग्रुप के सदस्यों को जोड़ने या हटाने का अधिकार होता है। ग्रुप में डाले गए किसी पोस्ट या विषयवस्तु को नियंत्रित करने या रोकने की क्षमता नहीं होती है। अदालत ने एक वॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन याचिकाकर्ता किशोर तरोने की याचिका पर यह आदेश सुनाया। तरोने ने गोंदिया जिले में अपने खिलाफ 2016 में धारा 354-ए (1) (4) (अश्लील टिप्पणी), 509 (महिला की गरिमा भंग करना) और 107 (उकसाने) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन) के तहत दर्ज मामलों को खारिज करने का अनुरोध किया था।

अभियोजन के मुताबिक, तरोने अपने वॉट्सऐप ग्रुप के उस मेंबर के खिलाफ कदम उठाने में नाकाम रहे जिसने समूह में एक महिला सदस्य के खिलाफ अश्लील और अमर्यादित टिप्पणी की थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मामले का सार यह है कि क्या किसी वॉट्सऐप समूह के एडमिन पर ग्रुप के किसी मेंबर की तरफ से किए गए आपत्तिजनक पोस्ट के लिए आपराधिक कार्यवाही चलाई जा सकती है। हाई कोर्ट ने तरोने के खिलाफ दर्ज एफआईआर और इसके बाद दाखिल आरोपपत्र को खारिज कर दिया। 

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