आइये, हम जान लेते हैं बजरंगबली व हनुमान नामकरण का किस्सा

बजरंगबली और हनुमान नाम कैसे पड़े इनके संबंध में विस्तार से यह जानना रोचक रहेगा कि संस्कृत का एक शब्द है हनुः जिसका मतलब होता है चिबुक, ठुड्डी, ठोड़ी या जबड़ा। यानी होठों के नीचे की हड्‍डी का उभार। इसकी मूल धातु है घनु जिसका मतलब कठोर है। संस्कृत की मूल धातु घनु से परवर्ती संस्कृत में ग ध्वनि का लोप हो गया और इसका रूप बना हनुः। गौरतलब है कि भक्तशिरोमणि हनुमान के नामकरण में भी इसी घनु या हनुः का योग रहा है। पुराणकथा के अनुसार जन्म लेते ही महाबली फल समझकर सूर्य को खाने लपके। सूर्य को इनकी पकड़ से छुड़ाने के लिए इन्द्र ने अपने वज्र से इन पर प्रहार किया जिससे इनका जबड़ा यानी हनु टेढ़ी हो गई। तभी से इन्हें हनुमान कहने लगे।

इनके बजरंगबली नाम के पीछे भी वज्र शब्द का योगदान है। संस्कृत में एक शब्द है वज्रः या वज्रम् जिसका अर्थ है बिजली, इन्द्र का शस्त्र, हीरा अथवा इस्पात। इससे ही हिन्दी का वज्र शब्द बना है। इन्द्र के पास जो वज्र था वह महर्षि दधीचि की हडि्डयों से बना था। हनुमान वानरराज केसरी और अंजनी के पुत्र थे। केसरी को ऋषि-मुनियों ने अत्यंत बलशाली और सेवाभावी संतान होने का आशीर्वाद दिया। इसीलिए हनुमान का शरीर लोहे के समान कठोर था। इसीलिए उन्हें वज्रांग कहा जाने लगा। अत्यंत शक्तिशाली होने से वज्रांग के साथ बली शब्द जुड़कर उनका नाम हो गया वज्रांगबली जो बोलचाल की भाषा में बना बजरंगबली। इन्हें मरूत यानी वायु देवता का पुत्र भी कहा जाता है इसलिए इनका एक नाम मारूति यानी वायु के समान वेगवान भी कहा जाता है।

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