कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बने ग्रुप 23 के अधिकांश नेता पार्टी की शरण में लौटे

नई दिल्ली 25 मार्च। ग्रुप 23 के अधिकांश नेताओं ने कांग्रेस के उसी नेतृत्व को स्वीकार कर लिया हैं जिस नेतृत्व की कार्य शैली को लेकर कभी उन्होंने सवाल उठाया था, जिस वक्त ग्रुफ ने नेतृत्व की कार्य शैली को लेकर आवन बुलंद की थी उस वक्त यह लगने लगा था कि पार्टी में जरूर कुछ उठापटक होगी.किन्तु ऐसा कुछ भी नही हुआ. पार्टी नेतृत्व ने बड़ी ही चतुराई लचीला रुख अपनाते हुए ग्रुप से दूरी बनाने वाले सदस्यों को तबज्जो देना शुरू कर दिया हैं. अभी तक ग्रुफ 23 में गुलाम नबी आजाद, आनन्द शर्मा और कपिल सिब्बल जैसे नेता जो बचे हुए है. इन्होंने अभी तक पार्टी नेतृत्व से संबंध बनाने का प्रयास भी नही किया और नेतृत्व ने भी इनकी पूछपरख नहीं की.ग्रुफ के बचे नेताओं की रणनीति आगे क्या होगी यह कहा नहीं जा सकता.

गौरतलब हैं कि पार्टी आलाकमान ने हाल ही में 23 ग्रुफ के सदस्य रहे मनीष तिवारी को जहां एक ओर असम औऱ बंगाल चुनाव के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया तो दूसरी तरफ वीरप्पन मोहली को तामिलनाडु में स्टार प्रचारक बना दिया.

पार्टी आलाकमान ने पहले ही जतिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल का प्रभार देकर असन्तुष्ट नेताओं को यह सन्देश देने की कोशिश की, कि जो नेतृत्व स्वीकारने और करीब आने के लिए तैयार हैं नेतृत्व भी उनके प्रति गलत धारणा नही रखेगा.
गौरतलब हैं कि मुकुल वासनिक ने पहले आपसी मतभेदों को भूला कर पार्टी के काम मे जुट गए है, पृथ्वीराज चव्हाण को भी पार्टी नेतृत्व चुनाव की जिम्मेदारी सौप चुका हैं. राजीव गांधी के नजदीकी सूत्रों ने दावा किया हैं कि अब ग्रुफ 23 तार तार होने की कगार में है इस ग्रुफ की सदस्य संख्या 23 से घट कर 3 – 4 ही रह गई हैं.जिसमें गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और आंनद शर्मा जैसे ही नेता बचे हुए है.शेष सभी नेता बारी बारी से पार्टी में लौट रहे है या पार्टी के करीब आने की कोशिश कर रहे है.सूत्रों का कहना हैं कि पांच राज्यों में होने वाले चुनावो के परिणाम के बाद कांग्रेस नेतृत्व शेष बचे असन्तुष्ट नेताओं को लेकर कोई बड़ा फैसला भी ले सकता हैं.

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