दाढ़ी बनाने वाले ब्लेड से सर्जरी, आठवीं तक पढ़े ‘सर्जन’ के कारनामे से हुई मां-बच्चे की मौत

लखनऊ 21 मार्च: उत्‍तर प्रदेश के सुल्‍तान जिले से एक अजीब मामला सामने आया है, जहां 30 साल के एक युवक ने दाढ़ी बनाने वाले ब्‍लेड से गर्भवती महिला की सर्जरी कर दी। अधिक खून बह जाने की वजह से मां और बच्‍चे, दोनों की कुछ ही घंटों में जान चली गई। मामले में पड़ताल आगे बढ़ी तो पता चला कि इस ‘सर्जरी’ को अंजाम देने वाला युवक महज आठवीं पास था, जिसके बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी थी।

यह मामला सुल्‍तानपुर के सैनी गांव में एक निजी नर्सिंग होम का है, जहां दाइयों और नीम-हकीमों की मदद से डिलीवरी कराई जाती थी। यहां चिकित्‍सा संबंधी जो भी उपकरण पाए गए हैं, वे बेहद खराब हालत में हैं, लेकिन आसपास कोई अच्‍छा अस्‍पताल या नर्सिंग होम नहीं होने के कारण स्‍थानीय लोग इलाज के लिए यहीं पहुंचते थे।  एक रिपोर्ट के अनुसार, जिस युवक ने महिला का ऑपरेशन किया, वह एक साल पहले ही यहां काम पर लगा था।

*अप्रशिक्षि‍त लोग करते थे काम*

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मा शारदा अस्‍पताल’ के मालिक राजेश सैनी ने राजेंद्र शुक्‍ला को काम पर रखा था, जिसने महज आठवीं तक पढ़ाई की थी। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। अस्‍पताल के मालिक पर अप्रशिक्ष‍ित लोगों से यहां काम करवाने का आरोप है। पुलिस जांच में यह भी पता चला है कि यह अस्‍पताल बिना पंजीकरण के ही चल रहा था और यहां तो अप्रशिक्ष‍ित लोग काम करते हैं, वे ऑपरेशन के लिए रेजर ब्‍लेड का इस्‍तेमाल करते थे।

यह मामला उस वक्‍त प्रकाश में आया, जब महिला के पति राजाराम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और कहा कि उसकी पत्‍नी पूनम (33) और नवजात की मौत अस्‍पताल में चिकित्‍सकीय लापरवाही के कारण हुई। यह मामला बुधवार का बताया जा रहा है। उसने पुलिस को बताया कि जब रात में पूनम को लेबर पेन शुरू हुआ तो वह उसे एक दाई के पास लेकर गया, जिसने उसकी पत्‍नी की हालत को देखते हुए उसे ढीह इलाके में स्थित प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र ले जाने की सलाह दी।

*मां बच्‍चे की गई जान*

पुलिस के मुताब‍िक, प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में सहायक नर्सों ने महिला की जांच की और उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्‍होंने राजाराम से कहा कि वह उसे अस्‍पताल ले जाए। यहां ब्‍लेड से उसका ऑपरेशन कर दिया, जिसके कारण खूब खून निकला। महिला की बिगड़ती हालत को देखते हुए शुक्‍ला ने राजाराम से कहा कि वह उसे जिला अस्‍पताल ले जाए। चूंकि पास में कोई बड़ा अस्‍पताल नहीं था, इसलिए वे 140 किलोमीटर दूर लखनऊ के KGMU ट्रॉमा सेंटर उसे लेकर गए, पर उसे बचाया नहीं जा सका, ज‍बकि नवजात की मौत जन्‍म के कुछ ही घंटों बाद हो गई थी।

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