कोयला खदान में हीरा की तलाश, नेताओं का तर्क पब्लिक को लग रहा बकवास

कोरबा 7 फरवरी । एस ई सी एल की ओपन कोल माइंस सराईपाली परियोजना नेताओ के लिए इन दिनों अखाडा बन गया है। अलग अलग टाइप के नेता बेतुका तर्क देकर अपना हिस्सा तय करना चाह रहे है। या यूँ कहा जाये कि पाली के कोयला खदान में हीरे की तलाश कर रहे है। नेताओ के द्वारा दिया जा रहा तर्क अब पब्लिक को बकवास लग रहा है।

सरईपाली परियोजना की शुरुवात होते ही एसईसीएल प्रबंधन और पाली के नेताओ में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। पाली के महाराज ने तो यहाँ तक कह दिया कि खदान खुलने से देवो के देव महादेव के अस्तित्व पर खतरा है। फिर क्या था उलझे सुलझे सब तरह के नेताओ ने अपना अपना तर्क देते हुए खदान बंद करने की मांग कर डाली।

कोयला खदान पर चल रही बयानबाजी से प्रबंधन भले ही परेशान हो या न हो लेकिन पब्लिक जरूर परेशान हो रही है। आखिरकार जंहा विकास हुआ है वंहा तो विनाश पहले भी हुआ है फिर यंहा क्यों हायतौबा ! फ़िलहाल लम्बे समय से खुली खदान से कोयला निकालने का सपना देखने वाले एसईसीएल प्रबंधन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। अब तो पाली की जनता यह भी कहने लगी है कि सत्ता पक्ष के महाराज को बिना मनाये काम शुरू करना एस ई सी एल को भारी पड़ रहा हैं।

उधर पाली में खुलेआम हो रहे कबाड़ और चोरी के डीजल के धंधे पर पाली के नेताओं का मौनव्रत देखकर भी जनता कम हैरान नहीं है। चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि पाली विधायक के नाम पर कोरबा शहर सहित पूरे जिले में जमीन का धंधा भी शुरू हो गया है। सच क्या है यह तो विधायक ही बता सकते हैं, लेकिन लोगों को बोलने से कौन रोक सकता है। खासकर तब, जब पाली विधायक की पृष्ठभूमि जमीन के सौदागर की बताई जा रही हो।

Spread the word