छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती

बिलासपुर 23 जनवरी। छत्तीसगढ़ के प्राइवेट स्कूलों में फीस का मुद्दा एक बार फिर हाईकोर्ट में पहुंच गया है। इस बार प्राइवेट स्कूलों की ओर से कोर्ट में याचिका दायर कर छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 को चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया है कि सरकार के पास फीस निर्धारण का कोई अधिकार नहीं है, वह सिर्फ प्रवेश और एकेडमिक स्टैंडर्ड पर ध्यान दे सकती है। मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी और बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी ने अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

याचिका में कोर्ट को बताया है कि अशासकीय विद्यालयों के फीस का निर्धारण करने का अधिकार राज्य शासन के पास नहीं है। फीस निर्धारण का अधिकार सिर्फ विद्यालय प्रबंधन को है। राज्य शासन सिर्फ प्रवेश व ऐकेडमिक स्टैंडर्ड पर ध्यान दे सकती है।

कोर्ट ने 4 सप्ताह में मांगा जवाब

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के पीएनए पाई फाउंडेशन इस्लामिक एजुकेशन और पीए नामदार के न्याय दृष्टांत का हवाला हवाला देते हुए अशासकीय विद्यालयों के फीस स्ट्रक्चर के संबंध में तथ्य रखा।

मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ में हुई।

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