धड़ल्ले से हो रही कोयला की चोरी, बिलासपुर में खप रहा कोरबा का कोयला
न्यूज एक्शन। एसईसीएल की खदानों से काले हीरे की चोरी बदस्तूर जारी है। रोजाना हजारों लाखों का कोयला चोरी कर बिलासपुर में खपाए जाने की खबर है। 40 हजार प्रति ट्रिप के हिसाब से सेंटिग का यह पूरा खेल खेला जा रहा है। कोयला चोरी को किसका संरक्षण है इस पर चर्चा भी हो रही है। जहां एसईसीएल के कुछ विभागीय अफसरों की भूमिका संदेह के दायरे में है वहीं खाकी और खनिज की कार्यशैली पर भी सवालियां निशान लग गया है। इन दिनों एसईसीएल सुराकछार कोल साइडिंग कोयला चोरों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां से व्यापक पैमाने पर कोयला की अफरा तफरी हो रही है।
एसईसीएल की बांकीमोंगरा क्षेत्रांतर्गत सुराकछार कोल साईडिंग तमाम प्रयासों व रोक के बावजूद कोयला तस्करों व चोरों का ठिकाना बना हुआ है। यहां से हर दिन कई ट्रिप ट्रेलर व अन्य वाहनों में कोयला बोरियों में लादकर तस्करों के ठिकाने तक पहुंचाया जा रहा है। कोरबा जिले की सीमा से दूसरे जिले में यह अवैध कोयला बड़ी ही आसानी पार हो रहा है जिससे एसईसीएल की सुरक्षा व्यवस्था व पुलिस की धरपकड़ कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं। माइनिंग की भूमिका पर भी हमेशा ही सवाल रहा है।
बताया जाता है कि सुराकछार साईडिंग से लगातार कोयला चोरी का सिलसिला अब बड़े पैमाने पर डकैती का रूप लेने लगा है। 70 से 80 की संख्या में एकजुट लोग रात के अंधेरे में बोरियों में पहले से भरकर रखा गया कोयला ट्रक, ट्रेलर में लादकर पार कराने में जुटे रहते हैं। ज्ञात रहे कि गुुरूवार की रात एसईसीएल सुराकछार के सब एरिया मैनेजर दिव्यजीवन सी. एवं अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों ने एक सूचना मिलने पर साईडिंग में दबिश दी थी। मौके पर मौजूद कोयला चोर वहां से भाग निकले लेकिन रेलवे ट्रेक किनारे-किनारे रखी गई कोयला से भरी लगभग 600 बोरियां बरामद हुई थी। इससे साफ है कि इस काले धंधे को किसी बड़े सफेदपोश का संरक्षण मिला हुआ है।
यह है खास ठिकाना
कोयला तस्करों के लिए काम करने वाले कोयला चोरों का बड़ा ठिकाना जेठूदफाई व इमलीछापर स्कूल के पीछे धनवार पारा भी है। इन इलाकों में कोयला चोर दिनभर बोरियों में कोयला इकट्टठा कर एक जगह रखते हैं। रात 11-12 बजे के मध्य ट्रक -ट्रेलर लगाकर बोरियों को बड़ी तत्परता से मजदूर लगाकर लदवाये जाते हैं ओैर कुछ ही घंटे में सारा कोयला जिले की सरहद पार हो जाता है। इसी प्रकार मानिकपुर की बंद पड़ी खदान पोखरी क्षेत्र में भी कोयला तस्कर काफी सक्रिय हैं।