सुपोषण अभियान रिशिका के लिए बना वरदान, आंगनबाड़ी के पौष्टिक आहार ने कुपोषित रिशिका को किया सुपोषित
कोरबा 16 दिसम्बर 2020. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। सुपोषण अभियान के तहत दिए जाने वाले पौष्टिक आहार कमजोर बच्चों के स्वास्थ्य परिवर्तन के साथ विपरीत आर्थिक परिस्थिति वाले परिजनों के जीवन में खुशियां फैला रहा है। गरीब तथा कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोगों के लिए अपने बच्चों को अच्छा और पौष्टिक खाना देना कठिन होता है। अच्छा और पौष्टिक खाना ना मिलने के कारण बच्चे कम उम्र में ही कुपोषण का शिकार होकर कमजोर हो जाते हैं। ऐसे परिवार के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग सतत रूप से सजग और जागरूक होकर कुपोषण के खिलाफ लड़ रहे हैं। सुपोषण अभियान के तहत कुपोषित बच्चों की पहचान कर महिला बाल विकास विभाग द्वारा नियमित रूप से बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में अंडा एवं मूंगफली लड्डू प्रदान किया जा रहा है। विभाग द्वारा बच्चों के हित में चलाये जा रहे सुपोषण अभियान द्वारा जिले के कई बच्चे कुपोषण से मुक्त होकर सुपोषित हो चुके हैं।
विकासखंड कटघोरा ग्राम चाकाधमना के उप स्वास्थ्य केंद्र ढुरेना में जन्मी रिशिका जन्म के समय स्वस्थ तथा सुपोषित थी। श्री राजकुमार एवं श्रीमती इंद्रवती जन्म के समय ढाई किलोग्राम की रिशिका के रूप में बच्ची पाकर खुश थे। एक साल तक रिशिका का स्वास्थ्य सामान्य श्रेणी में रहा तथा कुपोषण उससे दूर ही रही। रिशिका की माता श्रीमती इंद्रवती की तबीयत खराब होने के कारण दूध आना बंद हो गया। इंद्रवती दूध ना आने के कारण रिशिका को स्तनपान कराने में असमर्थ भी हो गई। एक साल की रिशिका को दूध के अलावा बाहरी खाना खाने का समय चल रहा था। घर की विपरीत आर्थिक स्थिति के कारण महंगे पौष्टिक आहार नहीं खिला पाने की असमर्थता के कारण रिशिका का पोषण स्तर गिरने लगा। कमजोर पोषण स्तर के कारण रिशिका सामान्य श्रेणी से मध्यम श्रेणी में आ गई। जून 2018 में रिशिका का वजन छह किलो 600 ग्राम हो जानेे से बच्ची कुपोषित हो गयी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती चंद्रकला कंवर के द्वारा बार-बार रिशिका के घर जाकर बच्ची के माता-पिता को बच्ची के स्वास्थ्य पर ध्यान और देखभाल करने पर जोर दिया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के सजग रूप से कार्य करने के कारण उसके माता-पिता घर पर रिशिका को ऊपरी आहार देना शुरू किया तथा साथ में रिशिका के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर ध्यान देने लगे।
एकीकृत बाल विकास परियोजना के अंतर्गत रितिका को प्रबल एवं सुपोषित योजना से जोड़ा गया। इस योजना अंतर्गत आंगनबाड़ी के द्वारा विशेष आहार के रूप में अंडा एवं मूंगफली लड्डू दिया जाने लगा। आंगनबाड़ी से प्राप्त रेडी-टू-ईट फूड को भी रिशिका के भोजन में शामिल किया गया। रिशिका के भोजन में स्थानीय हरी पत्तेदार सब्जियां व मुनगा भाजी को शामिल किया गया और बच्ची के मांग अनुसार बच्ची को खाना दिए जाने लगा। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दिए जाने वाले पौष्टिक आहार के कारण बच्ची के वजन में धीरे-धीरे वृद्धि होने लगी इस दौरान रिशिका को बाल संदर्भ योजना से भी लाभान्वित किया गया। जून 2020 में वजन निगरानी के दौरान बच्ची का वजन 10 किलो 700 ग्राम से बढ़ने लगी। इस दौरान पर्यवेक्षक एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार रिशिका के घर में जाकर भेंट किया गया तथा खान-पान तथा उचित देखभाल के बारे में भी लगातार जानकारी दिया जाने लगा। उचित खानपान और पौष्टिक आहार के कारण रिशिका का वजन अक्टूबर महीने में बढ़कर 12 किलो 400 ग्राम हो गया और रिशिका सामान्य श्रेणी में आ गई। सुपोषण अभियान के तहत किए गए प्रयास के द्वारा ही रिशिका कुपोषण से मुक्त होकर सुपोषित हो पाई। कुपोषण से मुक्त रिशिका तथा उसके माता पिता बहुत ही खुश है और सरकार की इस योजना के प्रति आभार भी जता रहे हैं।