कोयला अफसरों ने, कोयला मंत्री को, काला चश्मा पहनाया, S.E. c.L. का काला सच छुपाया…!

सुरक्षा ऐसी, मानो धूर नक्सल इलाके में आ गए हैं कोयला मंत्री

कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड यानि एस ई सी एल की सबसे बड़ी खुली कोयला खदान में गुरुवार को केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी का अल्प समय के लिए आगमन हुआ। उम्मीद की जा रही थी कि कोयला मंत्री, कोयला खदान से प्रभावित स्थानीय निवासियों की समस्याएं सुनेंगे और उनके समाधान की पहल करेंगे। लेकिन शातिर एस ई सी एल प्रबन्धन ने प्रोटोकाल का हवाला देकर विस्थापितों को मंत्री से मिलने ही नहीं दिया। मंत्री के चारों ओर सशस्त्र बल सी आई एस एफ की दीवार खड़ी कर दी गई। यहां तक कि मीडिया को भी मंत्री के प्रवास को कव्हर करने से रोक दिया गया। बिल्कुल ऐसा लग रहा था, जैसे – कोयला मंत्री छत्तीसगढ़ में शांति का टापू कहे जाने वाले कोरबा जिला में नहीं, बल्कि बस्तर के धूर नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ क्षेत्र में आ गए हों।” इस बीच, भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता और प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने एस. ई. सी. एल. की कोरबा जिले की खदानों का कच्चा चिट्ठा सौंपकर कोयला मंत्री से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

आखिर एस. ई. सी. एल. प्रबन्धन ने ऐसा क्यों किया? सीधी सी बात है, कि प्रबन्धन नहीं चाहता था कि खदान से प्रभावित ग्रामीण अपने साथ किये जा रहे भेदभाव, दुर्व्यवहार और मुआवजा तथा नौकरी देने में किये जा रहे भ्रष्टाचार से कोयला मंत्री को अवगत करा सकें।

संभवतः प्रबन्धन को ऐसी भी आशंका थी, कि मीडिया भी भू विस्थापितों की समस्या को लेकर मंत्री से सवाल कर सकता है। प्रबन्धन को यह डर भी हो सकता है कि लम्बे समय से दीपका, गेवरा, कुसमुंडा और अन्य खदानों में प्रतिमाह हो रही करोड़ों रुपयों की कोयला और डीजल की हेराफेरी और भ्रष्टाचार पर कोयला मंत्री से कोई सवाल न पूछ लिया जाए? दीपक, गेवरा और कुसमुंडा क्षेत्र में करोड़ों रुपयों के बोगस मुआवजा प्रकरण की मंत्री को जानकारी ना दे दी जाए? आप जानना चाहेंगे कि कोयला खदानों में ऐसा क्या हो रहा है, जिसको प्रबन्धन छुपाना चाहता था? आइये, सिलसिलेवार जानते हैं-

करोड़ों की कोयला चोरी

वरिष्ठ भाजपा नेता और वर्तमान में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने दो साल पहले शोसल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया था, जिसके बाद कोरबा पुलिस ने उनके खिलाफ एक आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था। उस वीडियो में सैकड़ों ग्रामीण कोयला खदान के भीतर से कोयला चोरी करते नजर आ रहे थे। वीडियो वायरल होने के बाद तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू ने खुद खड़े होकर कोयला खदान के बाहरी हिस्से में जे सी बी से खाई का निर्माण कराया था। कोयला चोरी का सिलसिला अभी भी जारी है। सूत्रों का कहना है कि जिले की सभी कोयला खदानों से प्रतिदिन 50 डम्फर से अधिक कोयला खदान से भरकर चोरी की जा रही है। इसके अलावे, कोयला ट्रांसपोर्टरों की तर्कों में भी अतिरिक्त कोयला दिया जा रहा है, जो बाहर ले जाकर बेचा जाता है। हद तो यह है कि रेलवे के रेक में भी अतिरिक्त कोयला का लदान किया जाता है, जो कोरबा रेलवे स्टेशन में वेट एडजेस्टमेंट के नाम पर गिराया जाता है और रेल्वे अधिकारियों की मिलीभगत से प्रतिदिन तस्करी कर काला बाजार में बेचा जाता है। रेल्वे स्टेशन से रोज 8 से 10 ट्रक कोयला की हेराफेरी किये जाने का दावा कोयला कारोबार से जुड़े सूत्र करते हैं।

रोज होती है डीजल चोरी

छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय जिस तरह कोयला के साथ खदानों से खुले आम डीजल की भी चोरी होती थी, ठीक उसी तर्ज पर अभी भी इन कोयला खदानों में प्रतिदिन डीजल की चोरी हो रही है। पूर्व में भी दिखावे के लिए कोयला और डीजल चोरी के छोटे मोटे पुलिस प्रकरण बना दिये जाते थे, वैसा ही अभी भी किया जाता है। अंदरखाने के सूत्र बताते हैं कि कोरबा की कोयला खदानों में प्रतिमाह 84 लाख लीटर डीजल की खपत होती है। इसमें से प्रतिमाह 15 से 20 लाख लीटर डीजल की चोरी कर ली जाती है। एस ई सी एल के रिकार्ड की जांच किये जाने पर इसकी पुष्टि आसानी से होने का दावा सूत्र करते हैं। बताया तो यह भी जाता है कि खदानों के भीतर चलने वाली भारी मशीनों और माल वाहकों में भारी मात्रा में चोरी का डीजल का उपयोग किया जाता है।

ट्रांसपोर्ट घोटाला

कोयला खदानों में सरफेश से स्टॉक डंपिंग फेस तक, क्रेशर तक और रेल्वे साइडिंग तक निजी ठेकेदार कोयला परिवहन का कार्य करते हैं। इन ठेकेदारों के साथ सांठगांठ करने प्रतिमाह लाखों रुपयों की फर्जी बिलिंग की जाती है। पिछले वर्षों में ऐसा एक मामला आपसी विवाद के कारण उजागर हो गया था और कुसमुंडा के चर्चित ठेकेदार से लाखों रुपयों की वसूली की गई थी। हालांकि कम्पनी के अधिकारियों को साफ बचा लिया गया था।

ठेका कार्यों में भ्रष्टाचार

एस ई सी एल में खदान से लेकर रिहायसी कालोनी तक प्रतिमाह करोड़ों रुपयों में ठेका कार्य की राशि का भुगतान किया जाता है। सूत्रों का कहना है कि सभी खदानों के अधिकारियों के अपने अपने चहेते ठेकेदार हैं, जिनको बोगस बिलिंग कर भुगतान किया जाता है और अतिरिक्त राशि की बंदरबांट की जाती है।

माफिया पर पर्दा

कोरबा जिले की प्रत्येक कोयला खदान में एक या इससे अधिक कोयला माफिया पैदा हो गए हैं। जिले की खदानों में कोई 25 वर्षों तक भूतपूर्व सैनिकों ने इन माफियाओं को सिर उठाने से रोक रखा था। लेकिन अब उनका प्रभाव कम हो गया है। कम्पनी के अफसरों के संरक्षण में कोयला माफिया पनप चुके हैं। इनकी मर्जी के बिना किसी भी कोयला खदान में कोई कार्य नहीं कर सकता। जिले के पाली थाना क्षेत्र की सराईपाली बुड़बुड़ कोयला खदान में 28 मार्च 2025 को हुई हत्या, इसी माफिया व्यवस्था का परिणाम है। दो तीन साल पहले कुसमुंडा खदान में ऐसी ही घटना होते होते रह गई थी। काफी पहले गेवरा दीपका खदान में आये दिन माफिया उत्पात की खबरें आती थीं। वर्तमान में कोयला खदानों में जो स्थिति है, उसे देखते हुए सूत्रों का कहना है कि इन पर नियंत्रण नहीं किया जाएगा तो कभी भी पाली क्षेत्र जैसी घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है। देखें खदान में कोयला मंत्री का वीडियो –

बहरहाल कोयला मंत्री के गेवरा प्रवास पर कम्पनी के एक सूत्र ने सटीक टिप्पणी की है। उन्होंने कहा -” कोयला मंत्री को, कोयला अधिकारियों ने काला चश्मा पहना दिया और एस. ई. सी. एल. का काला सच छुपा लिया।”

पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने की बिंदुवार शिकायत

एस. ई. सी. एल. में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार और क्षेत्र के भू विस्थापितों का शोषण- उत्पीड़न की बिंदुवार शिकायत भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता एवं पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने, कोयला मंत्री से की है। पूर्व गृहमंत्री कंवर ने शिकायत की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, सी. बी. आई. और ई. डी. को भी भेजने की जानकारी दी है। उन्होंने एस. ई. सी. एल. के विजिलेंस, सुरक्षा विभाग, सी. आई. एस. एफ. और त्रिपुरा रायफल्स की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। उनका कहना है कि सुरक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी, कोयला खदानों में हो रही चोरी और भ्रष्टाचार, देश के प्रधानमंत्री की जीरो टॉलरेंस की नीति को चुनौती की तरह है।

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