तालाब की साफ-सफाई कर लोगों को जल संरक्षण की जरूरत बताई

हनुमान प्राकट्य उत्सव पर होगा दीपदान
कोरबा 11 अपै्रल। बहुत सारी चीजें सामूहिक भागीदारी से बेहतर हो सकती है। अतीत में इसके उदाहरण मिले हैं तो वर्तमान में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। कोरबा के पोड़ीबहार प्राचीन तालाब की साफ-सफाई के साथ लोगों को जल संरक्षण की जरूरत बताई जा रही है। हनुमान प्राकट्य उत्सव पर यहां दीपदान होगा।
शहरीकरण की दौड़ में जन सामान्य तालाबों के महत्व को भूलता जा रहा है। शहर के तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं, मानो लोगों से अपने अस्तित्व की रक्षा करने की गुहार लगा रहे हों। लोग इनकी आवश्यकता को समझते तो हैं, लेकिन केवल अपने स्वार्थों के लिए। यही कारण है कि अधिकांश तालाब गंदगी से अटे पड़े रहते हैं। कोरबा का पोड़ीबाहर तालाब भी इसी बुरी स्थिति का शिकार था। यह तालाब शहर के लगभग सभी निवासियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मुक्तिधाम में तर्पण जैसी धार्मिक जरूरतों को पूरा करता है। इस तालाब की बदहाली को देखते हुए पोड़ीबाहर के कुछ युवाओं ने एक सराहनीय पहल की है और इसे बचाने का बीड़ा उठाया है। इन युवाओं ने गंदगी से भरे तालाब को साफ करने और इसे पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया है। वे हर सुबह श्रमदान करते हैं और तालाब की सफाई में जुट जाते हैं। युवाओं की इस अथक मेहनत ने तालाब की स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है.अब लोग सुबह-शाम यहाँ ताजगी भरी हवा में समय बिताने आते हैं। यह तालाब अब एक बार फिर से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। युवाओं का कहना है कि इस तरह के आयोजनों से लोगों में तालाब के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और वे इसे साफ रखने में मदद करेंगे. उन्होंने अन्य लोगों से भी इस पहल में शामिल होने और अपने आसपास के तालाबों को बचाने का आग्रह किया है।
पोड़ीबाहर के युवाओं की यह पहल एक मिसाल है. यह दिखाती है कि अगर हम एकजुट होकर प्रयास करें तो हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचा सकते हैं और अपने शहरों को स्वच्छ और सुंदर बना सकते हैं। इन युवाओं का उद्देश्य केवल तालाब को साफ करना ही नहीं है, बल्कि लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक करना भी है। वे चाहते हैं कि लोग समझें कि तालाब हमारे पर्यावरण और हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग हैं।