ठेकेदार ने हड़पी शौचालय निर्माण के मटेरियल भुगतान की राशिः पूर्व सरपंच उधार के सामाग्री खरीदी का 05 लाख पाने 07 साल से लगा रहा चक्कर


पूर्व सरपंच ने कहा- उधार में ली सामाग्री, राशि नही मिलने से जान देने की आ गई नौबत.

कोरबा 11 अपै्रल। रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2017- 18 में स्वीकृत शौचालय निर्माण और स्वच्छता अभियान में ओडीएफ घोषित ग्राम पंचायत रामाकछार का पूर्व सरपंच लाखों का भुगतान राशि पाने कटघोरा के एक ठेकेदार का विगत 07 साल से चक्कर लगा रहा है। इस दौरान उसने जनपद अधिकारी से भी फरियाद लगाई, लेकिन उसे आश्वासन के अलावा कुछ नही मिला। ऐसे में चक्कर लगा रहे पूर्व सरपंच थक हार चुका है।

जिले के जनपद पंचायत पाली अंतर्गत दूरस्थ पहाड़ी एवं बीहड़ वनांचल ग्राम पंचायत रामाकछार में वर्ष 2017- 18 में मनरेगा के तहत 207 शौचालय निर्माण की स्वीकृति मिली थी। तब यहां शौचालय निर्माण की जिम्मेदारी पूर्व जनपद सीईओ द्वारा कटघोरा के एक ठेकेदार को दे दी गई और जिसके मटेरियल सामाग्री खरीदी का जिम्मा पूर्व सरपंच भय सिंह आर्मों को दिया गया था। पूर्व सरपंच ने निर्माण में लगने वाले ईंट, सीमेंट, गिट्टी उधार में लेकर ठेकेदार को दी, जहां ठेकेदार ने 207 ग्रामीण शौचालय का निर्माण पूर्ण कराया। जिसकी भुगतान राशि 12 लाख 24 हजार को मनरेगा अधिकारी ने सरपंच को भुगतान न कर ठेकेदार को लाभ पहुँचाने की नीयत से उसके खाते में पूरी राशि जारी कर दी गई। जब पूर्व सरपंच ने उधार में खरीदे मटेरियल सामाग्री राशि 05 लाख का ठेकेदार से मांग किया तब उसने उक्त राशि देने में आनाकानी की और तब से लेकर आजतक पूर्व सरपंच मटेरियल सामाग्री का राशि पाने ठेकेदार और जनपद कार्यालय का चक्कर काटते आ रहा है।

इस विषय पर पूर्व सरपंच भय सिंह आर्मो ने बताया कि पूर्व पदस्थ रहे सीईओ द्वारा रामाकछार में शौचालय निर्माण का ठेका कटघोरा में संचालित नरेंद्र ज्वेलर्स के संचालक को दिया था। जिन निर्माण के मटेरियल सामाग्री का जिम्मा उसे सौंपा गया था। उन्होंने करीब 5 लाख के मटेरियल सामाग्री उधार में लेकर ठेकेदार को शौचालय निर्माण के लिए दी। जिसके भुगतान राशि ठेकेदार के खाते में किया गया। लेकिन ठेकेदार ने उसे आज तक उधार में लिए सामाग्री का भुगतान नही किया। राशि की मांग करने पर ठेकेदार द्वारा सीईओ को बुलाकर लाओ तब भुगतान करूँगा कहकर बहानेबाजी करते आ रहा है। पूर्व सरपंच ने आगे बताया कि सामाग्री खरीदी की राशि का भुगतान नही होने से दुकानदार के तकादे से वह बेहद परेशान है। ऐसे में उसके सामने जान देने की नौबत आ गई है।

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