काम के दबाव से जूझ रहे पुलिस कर्मी

कोरबा 10 फरवरी। छत्तीसगढ़ में पुलिस कर्मियों की अवकाश व्यवस्था को लेकर लंबे समय से मांगें उठ रही हैं, लेकिन अभी तक ठोस समाधान नहीं निकला है। पुलिस की सेवा को अत्यंत आवश्यक श्रेणी में रखा गया है, जिससे उनके कार्य का दबाव और जिम्मेदारियां अन्य विभागों के मुकाबले अधिक होती हैं। अनुशासन और तत्परता इस सेवा के मूल स्तंभ हैं, लेकिन इससे जुड़े कर्मियों के पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन पर भी असर पड़ता है।
सरकार द्वारा सप्ताह में एक दिन का अवकाश देने की घोषणा की गई थी, ताकि पुलिसकर्मी अपने परिवार और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन कर सकें। हालांकि, यह योजना अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हो पाई है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष है। इसके अलावा, 16 दिनों के आकस्मिक अवकाश का प्रावधान होने के बावजूद, कई बार व्यावहारिक कारणों से पुलिस कर्मी इसका लाभ नहीं ले पाते। इससे उनकी मानसिक और शारीरिक थकान बढ़ती है। पुलिस कल्याण बोर्ड ने भी इस विषय पर समय-समय पर सुझाव दिए हैं, लेकिन ठोस नीतिगत सुधारों की कमी अब भी बनी हुई है। पुलिस कर्मियों के लिए नियमित अवकाश का प्रावधान लागू करना न केवल उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक है, बल्कि इससे उनके पारिवारिक और सामाजिक जीवन में संतुलन भी स्थापित होगा। सरकार और प्रशासन को इस दिशा में जल्द और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।