वायु प्रदूषणः धुएं की जद में बढ़ रहा जन स्वास्थ्य का खतरा

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का लाभ नहीं

कोरबा 20 जनवरी। ध्वनि और वायु प्रदूषण के कारण सिसक रही यहां की जिंदगी के उपर और बड़ा खतरा सिगडियों के धुएं को लेकर है, जो समय के साथ बढ़ता जा रहा है। स्मोकलेस कोरबा को लेकर प्रशासन ने पिछले वर्षों में जो दावे किए थे उसकी हवा निकल गई है। कोरबा नगर के साथ-साथ कुसमुंडा, दीपका, बांकीमोंगरा और बालको में सुबह से रात तक धुआं का साय जन स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। इसका उपाय अब तक नहीं ढूंढा जा सका है।

गरीबों की रसोई को धुआंमुक्त करने के लिए सराकर ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना लागू की है,जिसके तहत बीपीएल परिवारों को मुफ्त में गैस चूल्हा दिया गया है। बावजूद इसके आज भी स्लम बस्तियों में रहने वाले अधिकतर लोग सिगड़ी जलाकर खाना बना रहे है। सिगड़ी जलाने से जो धुआं उत्सर्जित होता है,उससे शहर धुआं धुआं हो गया है और लोग गंभीर बीमारी से पीडित नजर आ रहे है। कोयला जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पूरे देश में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना लागू की गई है,जिसके तहत बीपीएल परिवारों को गैस चूल्हा दिया गया है। बावजूद इसके इनकी रसोई आज भी कोयले पर निर्भर है,जिससे कोरबा शहर में प्रदूषण का दायरा बढ़ता जा रहा है,और लोग गंभीर बीमारी से पीडित हो रहे है। सूबह और शाम के वक्त सिगड़ी जलने से कोरबा शहर का आसमान धुएं की चादर ओढ़ लेता ह। बातचीत के दौरान पता चला,कि कई लागों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का लाभ नहीं मिला है,जबकि कई लोगों की आर्थिक स्थिती सही नहीं होने के कारण वे गैस की रिफलींग नहीं करा पा रहे है।

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत अधिकतर लोगों को गैस चूल्हा दिया गया है बावजूद इसके कोरबा के स्लम बस्ती में रहने वाले लोग सिगड़ी के सहारे ही अपनी रसोई चला रहे है। ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ा हुआ है। बचना होगा धुआं से कोयला जलने से निकलने वाला धुआं अपने साथ कई गैसों को भी उत्सर्जित करता है। इसमें मुख्य रूप से कार्बन मोनो ऑक्साइड की भूमिका होती है। यह जन स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है। इसके संपर्क में आने से व्यक्ति को श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती है। इसलिए इससे बचने की जरूरत है। इस प्रकार के मामलों में उपेक्षा बरतने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं-डॉ.दीपक राज, बीएमओ कोरबा।

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