दुल्लापुर में बाघिन का लोकेशन मिलने पर पांच सदस्यीय ट्रैकिंग टीम पहुंची

एक दिन पहले लैंगा में गौवंश पर किया हमला, सतर्कता दिखाने पर बचा जीवन

कोरबा 24 दिसम्बर। वर्ष 2024 के अंतिम महीने में हिंसक वन्य प्राणियों की हरकतों से कोरबा जिले के कई कोने दहशत में रहे। हाथी और भालू के साथ-साथ मादा बाघ की गतिविधियों ने वन विभाग की चुनौतियां बढ़ाई और ग्रामीण जनजीवन को मुश्किलों से भर दिया। पिछले कुछ दिन से स्थान बदलने के साथ हमले कर रही बाघिन को पकडने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया है। कोरबी दुल्लापुर में उसकी उपस्थिति का पता चलने पर ट्रैकिंग टीम पहुंची है।

कटघोरा डीएफओ कुमार निशांत ने बताया कि उनके समेत पांच सदस्यीय ट्रैकिंग टीम कोरबी दुल्लापुर में मौजूद है। इसके साथ ही केंदई क्षेत्र का मैदानी अमला भी सहयोग के लिए डटा हुआ है। बाघिन को पहनाए गए कॉलर के जरिए उसकी पल-पल की गतिविधियों की जानकारी मिल रही है। अब से कुछ देर पहले हमें इंडिकेशन मिला कि वह एक स्थान पर आराम फरमा रही है। हमने उसे डिस्टर्ब नहीं करना तय किया है लेकिन गतिविधियों पर पूरी नजर है। डीएफओ ने बताया कि ट्रैकिंग टीम के साथ इलेक्ट्रानिक डिवाइस और एंटीना सहित संबंधित उपकरण हैं। इनके माध्यम से आसपास के सिग्नल प्राप्त हो रहे हैं। फारेस्ट की कोशिश है कि आगामी समय में बिना किसी नुकसान के उसे ट्रेस करने का काम पूरा किया जाए। अब तक की जानकारी से उच्चाधिकारियों को हमने अवगत कराया है।

आतंक का पर्याय बाघिन एक दिन पहले पसान रेंज के बाद केंदई रेंज के साल्हीपहाड़ क्षेत्र में थी। उसका लोकेशन आज सुबह यहां के जंगल के कक्ष क्रमांक पी-325 पर देखने के बाद वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंच गए हैं और उसकी निगरानी में जुट गए हैं। आसपास के गांवों में मुनादी कराकर ग्रामीणों को सतर्क करने का काम भी शुरू कर दिया गया है। बाघिन साल्हीपहाड़ क्षेत्र में पहुंचने से पहले लैंगा नामक गांव में घुसकर वहां गांव के निकट चर रहे दो बछड़ों पर हमला करने तथा उसका शिकार करने की कोशिश की लेकिन ऐनवक्त पर ग्रामीणों की नजर बाघिन पर पड़ गई और ग्रामीणों ने शोर-शराबा मचाकर बाघिन को भागने के लिए मजबूर कर दिया। बताया जाता है कि बाघिन भूखी-प्यासी है और वह खाने के लिए शिकार की तलाश कर रही है। अतरू इसके आबादी वाले क्षेत्र में पहुंचने की काफी संभावना है जिसे देखते हुए वन विभाग सतर्कता बरत रहा है।

इससे पहले बाघिन पसान रेंज के पंडरीपानी पंचायत अंतर्गत पहाड़पारा में दिलीप लकड़ा नामक एक ग्रामीण के घर तक जा पहुंची थी। ग्रामीण अपने घर की परछी में सोया हुआ था। जैसे ही उसका सामना बाघिन से हुआ सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। लेकिन उसने सूझबूझ का परिचय दिया और बाघिन को वापस लौटना पड़ा तब जाकर ग्रामीण की जान पर जान आई और वह अपनी व परिवार की जान की रक्षा कर सका।

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