धान का जब मिलने लगा अच्छा दाम तो युवाओं को भी भाने लगा है खेती-किसानी का काम

राजेन्द्र जैसे युवा की जागी खेती किसानी में रूचि
नये किसानों ने भी कराया है पंजीयन

कोरबा 28 नवंबर। तेज धूप व लू के थपेड़ों के बीच बारिश का इंतजार करते हुए घर में हल को दुरस्त करते हुए, कभी खाद-बीज के लिए पैसों का इंतजाम करते हुए ही नहीं बल्कि अपने बुजुर्ग पिता को खेतों में पसीना बहाते हुए, बारिश की परवाह न करते हुए, भीगते हुए हल चलाते, बीज डालते, रोपा लगाते, निंदाई करते, खाद डालते, सुबह से उठकर खेत की रखवाली करते, फसल पकने के बाद उसे कटाई करते हुए, कटे हुए धान को गठरी बनाकर कांवर में घर लाते फिर मिंजाई कर धान को अलग कर बोरे में डालकर बहुत ही जद्दोजेहद के साथ कुछ रूपए जोड़ लेने की चाहत में धान को बेचने के लिए ले जाते और धान बेचकर भी पर्याप्त पैसे का इंतजाम नहीं हो पाने पर भी खामोशी से अपने दुख-दर्द को छिपाकर अपने आपको खुश होना दिखाते, भीतर ही भीतर अगली बार बेहतर फसल होने और इस मेहनत के फसल का अच्छा मूल्य मिलने की उम्मीद संजोते हुए ताकि घर-परिवार की जरूरतों को पूरा कर सकें… कुछ ऐसे ही जीते-जागते हुए अपने बुजुर्ग पिता को अक्सर देखते आ रहे युवा किसान राजेन्द्र का मन तो नहीं था कि वह भी खेती किसानी को अपनाएं क्योंकि उन्हें लगता था कि इतनी मेहनत के बाद भी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल पाता, लेकिन सरकार द्वारा किसानों के हित में किए जा रहे कार्य, धान की बढ़ाई गई कीमत, प्रति एकड़ 21 किं्वटल धान की खरीदी जैसे फैसलों ने युवा किसान राजेन्द्र को भी खेती-किसानी से जोड़ दिया। इसी का परिणाम है कि इस बार उन्होंने भी अपनी पत्नी के नाम पर धान बेचने का पंजीयन कराया है।

यूं तो कोरबा विकासखंड के अंतर्गत लेमरू-देवपहरी क्षेत्र में धान का फसल लेना आसान काम नहीं है। सबकुछ आसमान की बारिश पर निर्भर है। इसके बावजूद किसान सबकुछ बारिश पर छोड़कर उम्मीद के साथ फसल लेते हैं। देवपहरी पंचायत के अंतर्गत ग्राम ढ़ीडासरई के किसान जग सिंह लगभग चार एकड़ में फसल लेते आ रहे हैं। इस बार भी फसल लेकर मिंजाई में जुटे किसान जग सिंह राठिया जल्दी ही नजदीक के धान उपार्जन केंद्र लेमरू में बेचेंगे। उनका कहना है कि फसल लेना आसान नहीं है। बहुत मुश्किल से फसल उपजा लेने के बाद जब अच्छा दाम नहीं मिलता है तो बहुत दुख होता है। उन्होंने बताया कि पहले किसानों को बहुत दुख दर्द सहने पड़े। ऋण लेने से लेकर खाद बीज लेने में परेशानी तो आती ही थी, धान की कीमत भी कम थी। अभी तो 21 क्ंिवटल प्रति एकड़ हो गया है और 3100 रूपए किं्वटल में धान खरीदी की जा रही है। बुजर्ग किसान जग सिंह के 27 वर्षीय युवा बेटे राजेन्द्र का कहना है कि मेहनत का सही मूल्य नहीं मिलता है तो किसी भी काम को करने की इच्छा नहीं होती। खासकर आजकल के युवा खेती किसानी से इसलिए भी दूर होते गए। उनका कहना है कि हर किसी को नौकरी मिलना आसान नहीं है, इसलिए कुछ न कुछ काम करना जरूरी है ताकि परिवार ठीक से चल सके। उनका कहना है कि खेती किसानी के काम में चुनौती है, जब लाभ अच्छा होगा तो निश्चित ही आज के युवा इस ओर जुडेंगे। राजन्ेद्र ने बताया कि वह भी अब पत्नी सहित खेती से जुड़ गया है। इस बार सहकारी समिति में पत्नी का पंजीयन कराया है ताकि धान बेचकर पैसे का इंतजाम कर सके। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए 31 सौ रूपए प्रति किं्वटल की दर से धान खरीदने का जो निर्णय लिया है, उससे किसानों को बहुत राहत मिल रही है। प्रति एकड़ में 21 किं्वटल धान खरीदने और कीमतों में छूट के साथ कृषि उपकरण देने, खाद-बीज,ऋण में छूट देने से युवा खेती-किसानी से जुड़ते जायेंगे, जैसे कि मैं जुड गया हूं।

गौरतलब है कि प्रदेष सरकार द्वारा 3100 रूपए में 21 क्विंटल प्रति एकड़ की दर पर धान खरीदने से किसानों में उत्साह का माहौल है। किसान उमंग के साथ धान खरीदी केंद्र अपनी उपज के विक्रय के लिए पहुंच रहे हैं। इससे किसानों का मनोबल बढ़ा है एवं वे और अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में धान विक्रय के लिए 55 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। इनमें 2,761 नए किसान षामिल हैं, जो कि पहली बार अपना धान विक्रय करेंगे।

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