जन स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही बिजली घरों की राख
फ्लाईऐश ट्रांसपोर्टिंग मामले में हुई कार्रवाई
कोरबा 18 अक्टूबर। राष्ट्रहित की बात करते हुए कोरबा जिले से अधिकाधिक मात्रा में कोयला की निकासी और बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। बिजली उत्पादन की प्रक्रिया में हर रोज यहां के बिजली घरों से 1.5 मिलियन टन राख का उत्सर्जन होने के दावे किए जा रहे हैं। एनजीटी की गाइड लाइन के अनुसार फ्लाईऐश का 100 प्रतिशत उपयोग किया जाए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। यहां-वहां फ्लाईऐश को भरने से पहले ट्रांसपोर्टिंग की प्रक्रिया में प्रदूषण की स्थिति निर्मित हो रही है। यह जन स्वास्थ्य पर काफी भारी साबित हो रही है।
हाल में ही फ्लाईऐश ट्रांसपोर्टिंग के काम में मनमानी बरते जाने की शिकायत पर प्रशासन ने गोपालपुर छुरी इलाके में कार्रवाई की। प्रबंधन को इस मामले में डेढ़ लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई गई। इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई कि मनमानी किए जाने पर अब ढिलाई नहीं कार्रवाई होगी। लेकिन जानकारों का कहना है कि सामान्य पेनाल्टी से उद्योग और ट्रांसपोर्ट प्रबंधन पर कोई खास असर नहीं हो रहा है। इस चक्कर में आए दिन के तमाशे जारी हैं और यहां-वहां फ्लाईऐश डंप करने के साथ स्वार्थसिद्धि की जा रही है। कोरबा जिले में सीएसईबी के एचटीपीएस, डीएसपीएम, एनटीपीसी की 2600 मेगावाट परियोजना और बालको के पावर प्लांट से उत्सर्जित राखड़ को सुरक्षित भंडारित करने से लेकर संबंधित उपयोगकर्ताओं को भिजवाने के लिए पर्यावरण संरक्षण मंडल ने निर्देश दे रखे हैं। प्रबंधनों ने निजी पार्टियों को ट्रांसपोर्टिंग का ठेका दिया है और संबंधित जिम्मेदारी खुद की है। कहा जा रहा है कि इस काम में कम रूपए खर्च कर अधिक फायदा कमाने और औपचारिक दायितव निभाने के अंतर्गत पार्टियां काम कर रही है।
इसी का नतीजा है कि अनेक मामलों में मालवाहकों को पूरी तरह से ढंकने में दिलचस्पी नहीं ली जा रही है जिससे आवाजाही के दौरा न उनके भीतर रखी फ्लाईऐश हवा के संपर्क में आने से न केवल सडक पर गिरती है बल्कि आसपास में फैलकर पर्यावरण को बाधित करती है। इस वजह से आसपास की बड़ी आबादी के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है।