सुबह दस बजे फोन किया और होम आइसोलेशन मानिटरिंग की टीम ने दो घंटे के भीतर दूर कर दी चिंता.. कोल इंडिया के अधिकारी संतोष कुमार की कहानी

  • कोरबा से कोल इंडिया के अधिकारी भिलाई में रह रहे माता-पिता को लेकर थे काफी चिंतित,
  • कहा कि मैंने सोचा नहीं था इतनी जल्दी मदद मिलेगी, जिला प्रशासन को धन्यवाद देने किया फोन

कोरबा 01 अक्टूबर 2020. सुबह-सुबह कोरबा में कोल इंडिया में कार्यरत अधिकारी श्री संतोष कुमार के मोबाइल पर भाई का मैसेज आया। भाई मम्मी-पापा को भी कोरोना के लक्षण नजर आने लगे हैं मैं काफी घबरा गया हूँ। कोरोना पाजिटिव होने की वजह से घर से निकल नहीं पा रहा। संतोष दुर्ग आने के लिए घर से निकले, इस बीच लगा कि आते-आते पांच छह घंटे बीत जाएंगे। दुर्ग जिला प्रशासन से कुछ मदद मिले, इस उम्मीद से उन्होंने जिला प्रशासन दुर्ग की हेल्पलाइन नंबर को सर्च किया। इसमें डिप्टी कलेक्टर सुश्री दिव्या वैष्णव का नंबर मिला। वे अवकाश में थीं लेकिन उन्होंने कहा कि आप कोरबा में रहिये, मम्मी पापा की चिंता हम पर छोड़ दीजिए। उन्होंने इसके लिए बने होम आइसोलेशन ग्रूप में श्री संतोष का मैसेज और उनकी चिंताएं जाहिर कर दीं। होम आइसोलेशन की मेडिकल काउंसिलंग टीम ने घर पर तुरंत फोन किया। पता चला कि माता-पिता को कार्डिएक ईशू भी हैं। होम आइसोलेशन कंट्रोल टीम से मिनटों में ट्रैसिंग टीम को मेडिसीन के साथ और चिकित्सक के साथ रवाना किया गया। बारह बजे तक एंटीजन टेस्ट हो गया था। पाजिटिव पाये जाने पर उनकी कार्डिएक स्थिति को देखते हुए दवा दी गई। धीरे-धीरे मम्मी-पापा को आराम आने लगा। शाम पांच बजे भावुक संतोष ने फोन किया। उन्होंने कहा कि मैं बहुत खुश हूँ। आप लोगों ने इतने जल्दी से कार्रवाई की, मुझे यकीन नहीं था कि मेरे नहीं होने पर भी आप लोगों ने इतने जतन से और बुजुर्ग लोगों की तबियत की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की। इससे सिस्टम पर मेरा भरोसा मजबूत हुआ है। केवल एक काल पर इतनी जल्दी कार्रवाई की बात सोचना बहुत कठिन है लेकिन यहां ऐसा हो गया है। इतने कठिन समय में जब इतने सारे लोग इस आपदा से ग्रस्त हैं प्रशासन के लिए काम बहुत ही कठिन होगा, इसके बावजूद एक काल पर इतने जल्दी संवेदनशीलता से कार्य करना सिस्टम के प्रति बहुत उम्मीद जताता है। उल्लेखनीय है कि होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर में हर मरीज की जरूरत के मुताबिक मेडिकल टीम निर्णय लेती है। आवश्यकता पड़ने पर रिफर संबंधी कार्रवाई भी की जाती है। इसके साथ ही मरीजों को भी कहा जाता है कि किसी भी वक्त तबियत बिगड़ने पर काल कर सूचित करें। सहायता उपलब्ध की जाएगी। हर मरीज की जरूरत के मुताबिक दवा देने एवं इस संबंध में विशेषज्ञों द्वारा लिये जाने वाले त्वरित निर्णय से दुर्ग जिले में होम आइसोलेशन का माॅडल सफल हो रहा है।

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