06 नियमित ट्रेन की सुविधा कोरबा को पहली जुलाई से
रेलवे ने जारी की सूची
कोरबा 08 जून। रेलवे के अमृतकाल में करोड़ों की लागत से कोरबा स्टेशन में नए ओवरब्रिज और प्लेटफार्म के शेड विस्तार का काम कराया जा रहा है। इसके साथ ही अब यात्रियों को रेल सुविधा देने के लिए कदम बढ़ाए गए हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद रेलवे ने यात्री सुविधा पर ध्यान दिया। कोरबा को इस कड़ी में कुछ ट्रेनें दी जा रही है जो रायपुर और बिलासपुर से कोरबा के बीच नियमित चलेंगी। रेलवे ने अभी इनकी समय सारिणी घोषित नहीं की है।
जारी सूची के अनुसार 08279 कोरबा-रायपुर पैसेंजर स्पेशल, 08280 रायपुर-कोरबा पैसेंजर स्पेशल, 58203 कोरबा रायपुर और 58204 रायपुर-कोरबा के बीच पैसेंजर बनकर चलेगी। 08731 कोरबा-बिलासपुर मेमू स्पेशल, 08732 बिलासपुर-कोरबा मेमू स्पेशल, 08733 कोरबा-बिलासपुर, 08734 बिलासपुर-कोरबा मेमू स्पेशल ट्रेन के रूप में संचालित की जाएगी। इसी तरह 68745 गेवरारोड-रायपुर और 68746 रायपुर गेवरारोड मेमू ट्रेन को नियमित रूप से चलाना सुनिश्चित किया गया है। आदिवासी अंचल अंबिकापुर, सूरजपुर, अनूपपुर और शहडोल के लिए भी संबंधित क्षेत्रों में नियमित ट्रेन चलाने की घोषणा की गई है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ओर से जारी सूचना में बताया गया कि कुल 124 ट्रेन को इस कड़ी में शामिल किया गया है जो 1 जुलाई से नियमित रूप से चलाई जाएगी। यह संपूर्ण संख्या दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर जोन के अंतर्गत आने वाले 3 मंडल से संबंधित हैं। इतनी गाडियों के लंबे समय से अनियमित संचालन के कारण जनता परेशान हो रही थी और कहीं न कहीं उसक आक्रोश ने रेल प्रबंधन के साथ-साथ सरकार को कड़ा संदेश देने का काम किया है।
जानकारों का कहना है कि अमृतकाल में रेलवे स्टेशनों को विकसित करने के लिए भले ही काम किया जा रहा है लेकिन यात्री सुविधाओं की दुर्गति हो गई है। काफी समय से इसे लेकर शिकायतें बनी हुई है और छत्तीसगढ़ को अगर छोड़ भी दिया जाए तो दूसरे इलाकों में इसने भी लोकसभा चुनाव पर असर डाला। शायद यही कारण है कि अब कोयला लदान के साथ-साथ यात्री सेवाओं की बेहतरी के लिए फौरी तौर पर कदम उठाने पर ध्यान दिया गया है। माना यह भी जा रहा है कि रेलवे ने कोई स्वाभाविक रूप से इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाए हैं। इसके पीछे नागरिकों का दबाव भी काफी हदद तक कारगर रहा है। कोरबा में रेल संघर्ष समिति ने पत्राचार के साथ अधिकारियों को घेरा। यात्री हितों की लगातार अनदेखी को लेकर रेल मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री तक पत्रचार किया। कोरबा से होने वाली आमदनी का संदर्भ देकर रेलवे की आंख खोलने की कोशिश की। इसके नतीजन रेलवे को यात्री हित के बारे में सोचने मजबूर होना पड़ा।