रेलवे की मनमानी.. दस के बजाय देर रात ढाई बजे पहुंची हसदेव एक्सप्रेस

कोरबा। रेल प्रशासन मनमानी की सारी हदें पार कर रहा है। रविवार को रायपुर से  कोरबा के बीच चलने वाली हसदेव एक्सप्रेस देर रात ढाई बजे कोरबा पहुंची और यात्रियों को अपने ही शहर में स्टेशन से घर जाने बेसहारा भटकने मजबूर कर दिया। खासकर बच्चों को लेकर सफर कर रही महिलाओं को ज्यादा परेशानी हुई।

रेल प्रबंधन की अनदेखी से ट्रेनों की लेटलतीफी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है जिसकारण यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कोरबा से रायपुर आना-जाना करने के लिए लोग ज्यादातर हसदेव एक्सप्रेस में सफ़र करते हैं ताकि सुबह जाकर रायपुर में काम निपटा शाम को पुन: वापस लौट जाएँ पर ट्रेन के विलंब से चलने से न केवल यात्रियों को परेशानी होती है, बल्कि कई बार आगे की यात्रा करने वालों की टिकट का पैसा भी बर्बाद हो जाता है। 26 मई को भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब रायपुर में महिला संगठनों की बैठक में शामिल होने काफी संख्या में महिलाएं रायपुर गई थीं। उन सभी को लौटते समय रायपुर से हसदेव एक्सप्रेस मिली। जिसे रि-शेड्यूल करते हुए रेल प्रशासन ने शाम छह बजे की बजाय रायपुर से ही रात को 9:23 बजे छोड़ा। बच्चों के साथ अकेले ट्रेन पर सवार बड़ी संख्या में महिला यात्री परेशान होने लगीं।

दक्षिण पूर्व मध्य रेल जोन प्रशासन ने रीशेड्यूल की गई इस ट्रेन में यात्रा कर रहे यात्रियों के समय की फिक्र नहीं की और न हीं पहले से लेट चल रही इस ट्रेन को टाइम मेकअप करने का कोई भी प्रयास किया। पीछे आ रही ट्रेनों को क्रासिंग देने की वजह से यह ट्रेन अपने अंतिम स्टेशन  कोरबा रात को 9.45 बजे की बजाय रात 2.32 बजे पर  कोरबा पहुंची। ट्रेन में सवार महिला यात्री और बच्चे बहुत परेशान हो गए खासकर उन महिलाओं को बहुत परेशानी हुई जो इस ट्रेन में अकेले यात्रा कर रही थी। स्टेशन से बाहर निकालने के बाद इतनी देर रात में घर जाने के लिए आटो की व्यवस्था करना, किसी चुनौती से कम नहीं रहा। इसको देखते हुए लोगों ने जिला प्रशासन से स्टेशन से नगर के विभिन्न क्षेत्र तक पिंक सुरक्षित आटो की व्यवस्था करने की मांग की है। यही नहीं बिलासपुर से छूटने के बाद भी ट्रेन की चाल में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आया।

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