तेज हवा से उखड़कर स्कूल भवन की टीन नीचे गिरीः 12 बच्चों को आई चोंटें, पांच बच्चे पेंड्रा अस्पताल दाखिल
कोरबा 21 मार्च। पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के प्राथमिक शाला दर्रीपारा में शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच उस समय चीख पुकार मच गई जब तेज हवा के झोेंका से स्कूल में लगा टीन का छत उखड़कर नीचे गिर गया है। घटना उस समय हुई, जब बच्चे मध्यान्ह भोजन कर रहे थे। ईंटों के गिरने से स्कूल के 12 बच्चों को चोटें आई। जिन्हें गांव के अस्पताल पहुंचाया गया। पांच बच्चों के सिर और पैर में अधिक चोट होने के कारण उन्हें निकटवर्ती जिला गौरेला-पेंड्रा- मारवाही के पेंड्रा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दाखिल किया गया है। सभी बच्चों की स्थिति सामान्य है।
जिले में पिछले दो दिनों से मौसम में व्यापक उतार-चढ़ाव बना हुआ है। इसका सर्वाधिक असर पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में देखा जा रहा है। दोपहर होते ही तेज हवा वर्षा शुरू होने का क्रम दो दिनों से जारी है। जिला मुख्यालय से 98 किलोमीटर दूर ग्राम दर्रीपारा में संचालित प्राथमिक शाला में मौसमी बदलाव आफत बन कर टूट पड़ा। बच्चे मध्यान्ह भोजन कर रहे थे इस दौरान तेज रफ्तार से चली हवा ने स्कूल के टीन के छत को उखाड़ मैदान में गिरा दिया। दीवार ढहने की आशंका से बच्चे इधर-उधर भागने लगे। टीन के साथ उसमें लगे एंगल के उखड़ने के दौरान ईंटों का मलबा भी भरभरा कर गिरा। जिसकी चपेट में आकर 12 बच्चों को चोंट आई। बच्चों किसी तरह सुरक्षित स्कूल के अन्य कमरे में ले जाया गया। स्कूल के छत उखड़ने की घटना गांव में जंगल की आग की तरह फैल गई। बच्चों पर संकट की आशंका से अभिभावक दौड़े चले आए। उन्होंने देखा बच्चों के सिर व पैर में चोट आने के कारण रक्त बह रहा है। सभी बच्चों को गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया है। पांच बच्चों सिर पर अधिक चोट होने के कारण उन्हे निकट के पेंड्रा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया है। जिला शिक्षा अधिकारी तामेश्वर उपाध्याय ने बताया कि अस्पताल में भर्ती सभी बच्चों की स्थिति सामान्य है। गुरूवार को सभी को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। अधिकारी ने बताया कि दर्रीपारा प्राथमिक शाला में पहली से पांचवी कक्षा में बच्चों की दर्ज संख्या 46 है। विद्यालय में दो शिक्षक पदस्थ हैं। तेज हवा के चलते स्कूल के टीन के छत उखड़ने की वजह से घटना घटित हुई है। उन्होंने बताया कि इस तरह घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए विद्यालय छत को टीन के बजाए सीमेंट का बनाया जाएगा। जब तक स्कूल भवन का मरम्मत नहीं हो जाता वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
जिले में जर्जर स्कूलो की संख्या लगातार बढ़ते जा रही है। जिला प्रशासन की ओर से नए भवनों की स्वीकृति तो दे जाती है, लेकिन पुराने को यथावत छोड़ दी जाती है। 214 ऐसे प्राथमिक व मिडिल स्कूल हैं जिसके परिसर में पुराने उपयोगहीन खंडहर भवनों को वर्षों से डिस्मेल्ट नहीं किया गया है। वर्षा काल में इन खंडहरों के मलबों का गिरने का भय बना रहता था। पुरानें खंडहर भवनों की जगह में नया भवन निर्मित किए जाने के कारण इन स्कूलों का खेल मैदान सिमट गया है। बच्चों के खेलने की जगह नहीं है। भवन को डिस्मेल्ट किए जाने खतरे की आशंका समाप्त होने के साथ बच्चों के लिए स्कूल परिसर में खेलकूद का वातावरण बनेगा।