खदान से प्रभावित लोगों को बसाहट देने की तैयारी, पर्यावरण की चिंता नहीं
कोरबा 05 दिसम्बर। कोयला खदान से प्रभावित लोगों को बसाहट देने की तैयारी में कोरबा का एसईसीएल प्रबंधन जुट गया है। देर से ही सही लेकिन अब जाकर प्रबंधन की नींद खुली है और उनके द्वारा प्रभावितों को छत देने का काम शुरु कर दिया गया है। प्रबंधन के इन प्रयासों से प्रभावित जरुर खुश होंगे लेकिन पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचेगा। क्योंकि कुसमुंडा खदान प्रबंधन द्वारा सर्वमंगला मंदिर के पास कई एकड़ में फैले हरे-भरे पेड़ों को कटवा रहा है। चंद्रनगर सहित पाली पड़निया में रहने वाले ग्रामीणों को यही बसाहट दी जाएगी।
सर्वमंगला मंदिर के आगे कनकी मार्ग पर पिछले एक सप्ताह से पेड़ों को काटने का दौर लगातार जारी है। एसईसीएल के निर्देश पर सैकड़ों पेड़ों की बलि चढ़ा दी है। इस जमीन पर प्रबंधन उन लोगों के लिए बसाहट तैयार करने जा रहा है,जो खदान से प्रभावित हैं। पाली पड़निया के साथ ही चंद्रनगर के लोगों को बसाने के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है। कई एकड़ में फैले करीब दो सौ पेड़ों को काटा जा रहा है। पेड़ों को काट रहे लोगों से जब हमने बात की तब उन्होंने कहा,कि ठेकेदार के माध्यम से पेड़ों की कटाई का काम जारी है। देर से ही सही लेकिन अब जाकर प्रबंधन खदान से प्रभावित लोगों को बसाहट देने की तैयारी में जुट गया है। हालांकि इस काम में भी प्रबंधन का अपना ही स्वार्थ है। प्रबंधन को हर हाल में खदान विस्तार के लिए जमीन चाहिए इसलिए प्रभावितों को जल्द से जल्द विस्थापित करने के लिए उनके द्वारा आशियाना तैयार किया जा रहा है। लेकिन इसके बदले सैकड़ों पेड़ों की बली ली जा रही है। यह तो तय है,कि प्रभावितों को यही बसाया जाएगा लेकिन जिन पेड़ों को काटा गया है उसके बदले प्लांटेशन का काम कहां होगा यह स्पष्ट नहीं हो सका है।