किसानों ने ऋण माफी की जगह चुना बोनस का विकल्प
नए सरकार गठन से व्यवस्था में सुधार आने के आसार
कोरबा 05 दिसम्बर। जिले के अधिकांश किसानों ने कांग्रेस ने ऋण माफी की जगह भाजपा के दो साल के बोनस राशि और 3,100 रूपये प्रति क्विंटल धान खरीदी को अधिक पसंद किया है। खेती के लिए जिले के 23 हजार किसानों ने 81 करोड़ रूपये का कर्ज लिया है। 55 उपार्जन केंद्रों में 1.20 लाख क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है। अब तक धान बेचने वाले 1,932 किसानों से तीन करोड़ की वसूली हो चुकी है। नए सरकार गठन की स्थिति तय होने के बाद अब उपार्जन केंद्रों में धान की आवक बढ़ने लगी हैं।
किसानों के ऋण मुक्ति का जुमला देकर कांग्रेस पिछली बार भाजपा से सत्ता छीन लिया था। इसके उलट इस बार भाजपा ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी और एकमुश्त भुगतान की घोषणा कर कांग्रेस से कुर्सी को वापस छीन लिया है। सरकार बनने के स्थिति तय होने के बाद अब किसानों की नजर भाजपा की ओर से किए गए घोषणा पर पत्र पर जा टिकी है। औद्योगिक जिला होने के बावजूद जिले में 1.24 लाख किसान खेती कर जीवकोपार्जन करते हैं। इनमें 60 प्रतिशत किसान लघुसीमांत की श्रेणी में आते हैं। यानी उनके पास दो एक एकड़ से भी कम जमीन है। सिंचाई संसाधन नहीं होने के कारण वर्षा आश्रित खेती करते हैं। वन क्षेत्र से घिरे होने की वजह से जिले में कृषि के अनुकूल वर्षा होती है। यही कारण है कि लघु सीमांत किसान ऋण लेकर खेती नहीं करते। जब ऋण लिया ही नहीं तो ऋण माफी का भी सवाल नहीं उठता। 40 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जो ऋण लेकर खेती करते हैं। बहरहाल जिन किसानों ने ऋ ण लिया है उनसे वसूली धान बिक्री के साथ शुरू हो गई है। धान खरीदी के 34 दिन बीते जाने के बाद 58 उपार्जन केंद्रों में 1.10 क्विंटल धान की खरीदी हुई है। सात केंद्रों में अभी भी खरीदी की बोहनी नहीं हुई है। अब तक धान बेचने वालों में 2,234 किसान शामिल है। पंजीकृत किसानों की संख्या 48,276 है। भाजपा की सरकार गठित हो रही है। अब किसानों की सीधी नजर घोषणा पर है। आगे लोकसभा चुनाव है, किसानों पूर्ण आशा है नवगठित सरकार चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वायदों पर अमल करेगा।
बीते वर्ष में तय की गई कीमत 2,500 रूपये प्रति क्विंटल के दर धान की खरीदी हो रही थी। नए सरकार ने 3,100 रूपये में धान लेना स्वीकार किया है। यह भी कहा गया है कि जिन किसानों ने धान की बिक्री कर ली है उसके अंतर की राशि 700 रूपये उनके खाते में प्रदान की जाएगा। कांग्रेस सरकार ने भले ही धान की कीमत पिछली बार 1,800 रूपये से बढ़ाकर 2,500 रूपये किया था लेकिन अंतर की राशि किश्त में दी जा रही। भाजपा धान खरीदी की राशि को एकमुश्त देने का वादा किया है।
जिले में इस बार शासन ने 25 लाख क्विंटल धान बिक्री का लक्ष्य तय किया है। अनुकूल मौसम और कीमत में हुई वृद्धि से धान खरीदी की मात्रा लक्ष्य से पार होने की संभावना बढ़ गई है। इस की दूसरी वजह यह भी है कि नए खरीफ वर्ष 5,356 नए किसानों ने पंजीयन कराया है। पंजीकृत किसानों की संख्या बीते वर्ष की तुलना 43,256 से बढ़कर 48,276 हो गया है।
पंजीकृत रकबा में 4,445 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। कुल 69,457 हेक्टेयर रकबा में लगे धान की खरीदी होगी। उपार्जन लक्ष्य बढ़ने से मिलर्स की संख्या में वृद्धि हो सकती है। गांव के निकट उपार्जन केंद्र खुलने से किसानों को अब लंबी दूरी तय कर धान बेचने की समस्या से मुक्ति मिली है। बायोमिट्रिक प्रणाली से धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू करने से बीचौलियों की सक्रियता भी लगभग समाप्त हो गई है। शासन ने किसानों सुविधाओं इजाफा तो किया है लेकिन उपार्जन केंद्रों में धान की सुरक्षा के लिए शेड, चबूतरा व गोदाम निर्माण की प्रक्रिया अभी भी शुरू नहीं की गई है। हालिया स्थिति यह है कि घोषित नए केंद्रों में धान बिक्री के लिए पहुंचे किसानों के लिए बैठक की भी सुविधा नहीं है। नए सरकार के गठन से व्यवस्था में सुधार आने के आसार नजर आ रहे हैं।