जागरूकता कार्यक्रमों से होता है एड्स से बचाव: डॉ पवन

कोरबा 02 दिसम्बर। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में विद्यार्थियों को एड्स जैसी भयानक बीमारी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से विशेष आमंत्रित चिकित्सक डॉक्टर पवन कुमार (डिप्टी सीएमओ एनसीएच गेवरा) के द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया ।

डॉ. पवन कुमार ने इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को एड्स की विस्तृत जानकारी दी एवं इससे बचने के उपाय के बारे में भी बताया । डॉक्टर पवन कुमार ने विद्यार्थियों को वायरस क्या होता है ,एवं यह कैसे फैलते जाता है इसकी भी पूरी क्रियाविधि विस्तार से समझाइ। उपस्थित विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रकार के सवाल पूछ कर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। पूरी कार्यशाला में विद्यार्थियों से विभिन्न रोचक सवाल पूछे गए , जिसका सभी विद्यार्थियों ने जवाब दिया । डॉक्टर पवन कुमार ने विद्यार्थियों को प्रत्येक सवालों के जवाब को देने के लिए प्रेरित किया। डॉक्टर पवन कुमार ने कहा कि आप जवाब अवश्य दें यदि जवाब गलत होगा तो उसको सही करके हम आपको समझाएंगे । कम से कम आप में अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास होगा । अच्छा है कि हम चुप ना रहें। अपने मन में आने वाले प्रत्येक शंकाओं का समाधान करते चलें। यदि मन में कोई सवाल है तो हम जरूर पूछें। डॉक्टर पी पवन कुमार ने कहा कि हमारा कर्तव्य है कि लाइलाज एवं भयावह बीमारी के प्रति हम लोगों को जागरूक करें । इससे हर संभव बचने का प्रयास करें। हम प्रत्येक परिस्थिति में संयम बरतें ।छात्रों द्वारा लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता लाने श्रृंखला द्वारा प्रतिरूप बनाकर संदेश दिया।

डॉ पवन कुमार(ड्यूटी सी एम ओ एन सी एच गेवरा) ने एड्स बीमारी के लक्षण बताते हुए विद्यार्थियों को बताया कि एच?आई?वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है, पर एड्स से पीडि़त मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीडि़त के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशरू क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एच.आई.वी. संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में 8 से 10 वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते हैं।एचआईवी संक्रमण के कुछ ही हफ्तों के अंदर, बुखार, गले में खराश और थकान जैसे फ्लू के लक्षण दिख सकते हैं. फिर एड्स होने तक आमतौर पर रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते । एड्स के लक्षणों में वजन घटना, बुखार या रात को पसीना, थकान और बार-बार संक्रमण होना शामिल हैं। हमें हर संभव इससे बचने का प्रयास करना चाहिए हमें एड्स रोगियों के प्रति सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए । उन्हें शंका एवं नफरत की दृष्टि से कभी ना देखें।

विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि जहाँ एक ओर जीवन में प्रतिस्पर्धा एवं दुखों का अंबार है वहीं नाना प्रकार की बीमारियों से भी इंसान ग्रसित है,ऐसी ही एक बीमारी है एड्स जो इंसान को खोखला कर देती है,दुनिया,समाज यहाँ तक कि परिवार भी व्यक्ति का साथ छोड़ देता है।एड्स दिवस पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य लोगों को जागरूकता फैलाना है कि वे इस भयावह बीमारी से दूर रहें । जागरूकता कार्यक्रमों से एचआईवी के बारे में जानकारी गाँव व शहरों में तेजी से फैलाएं जिससे हर नागरिक जागरूक बनें एवं अपने भविष्य का निर्माण एक सही दिशा में कर सकें ।

Spread the word