उपवास सभी रोगों में सुधार की सबसे प्रभावशाली विधि: आचार्य गोस्वामी

कोरबा 07 अगस्त। सरदार वल्लभ भाई पटेल नगर जमनीपाली में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के तीसरे दिन कथा वाचक पवन कृष्ण गोस्वामी ने प्रहलाद व नरसिंह अवतार का प्रसंग विस्तार पूर्वक वर्णन के साथ संगीतमय प्रवचन दिया। आचार्य गोस्वामी ने बताया कि उपवास सभी रोगों में सुधार की सबसे प्रभावशाली विधि है। उपवास से शक्ति मिलती है। लेकिन समाज में प्रतिष्ठा पाने के लिए अच्छे कर्म करने होते हैं।

आचार्य ने कहा कि प्राचीन काल से व्रत, सत्संर्ग, कथा आदि की रचना लोगों में जागृति, सद्भावना, सुसंस्कृत, समाज को सुविकसित करने के लिए की गई। आचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि बच्चों को धर्म व अच्छे कर्म, संस्कार का ज्ञान बचपन में ही देने से वह जीवन भर उसका पालन तथा स्मरण करता है। ठीक उसी प्रकार संगति का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। बच्चों की संगति कैसे लोगों के साथ है, अगर अच्छे लोगों के साथ है तो वह भी अच्छा बनेगा लेकिन गलत व्यवहार के व्यक्तियों के साथ संगत है तो उसके व्यवहार में भी उसका असर देखने को मिलने लगेगा।

आचार्य गोस्वामी ने अनेकों प्रसंगों और उदाहरण के माध्यम से कथा का सुंदर वर्णन किया। सभी श्रद्धालुओं ने मंत्रमुग्ध होकर श्रवण और संगीतमय कथा के दौरान नृत्य किया। कथा के प्रारंभ में मुख्य जजमान राजू गोयल ने विधि विधान के साथ पूजन कार्य किया। श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के चौथे दिन वामन चरित्र, मोहिनी अवतार, रामजन्म, कृष्ण जन्म का प्रसंग लेकर विस्तार पूर्वक वर्णन कर श्रोताओं को कथा वाचक आचार्य पवन कृष्ण गोस्वामी ने श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में वह सारे गुण व्याप्त है जिनके माध्यम से प्राणी अपना कल्याण कर सकता है, साथ में परिवार व उनसे जुड़े हुए लोगों का भी कल्याण होता है। जीवन में जब अवसर मिले समय निकालकर प्रत्येक व्यक्ति को भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए।

कथा वाचक पवन कृष्ण गोस्वामी ने ऐसा समां बांधा कि श्रद्धालुजन अपने आप को रोक नही सके। नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की धुन पर भक्त जमकर झूमेंए तथा भगवान कृष्ण की सामूहिक जय.जयकार के बीच श्रद्धाभाव के साथ श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया। इस दौरान कार्यक्रम स्थल को विभिन्न प्रकार के रंगीन गुब्बारों से सजाया गया और टाफियां बांटकर खुशियां मनाई गई। श्रीकृष्ण अवतार की झांकी निकाली गई। आचार्य ने कहा कि कोई कार्य सोच विचार कर करने चाहिए। बिना सोचे-विचारे अर्थात बिना चिंतन.मनन के कार्य करने का परिणाम अक्सर गलत होता है। आचार्य ने कहा कि मन में हर हमेशा जिज्ञासा बनी रहना चाहिए, जिस प्रकार बालपन में बालको को कुछ नया देखने व सुनने से उसके मन में उसे जानने की जिज्ञासा होती है। इसलिए अपने अंदर के बालपन को हमेशा बनाए रखना चाहिए। कथा दोपहर तीन बजे से आरंभ होकर रात 8.30 बजे तक चली। आरती की पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। कथा में बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरूषों ने भागीदारी निभाई।

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