स्वास्थ्य केंद्रों में 1350 कर्मचारी हड़ताल पर: सरकारी अस्पतालों में इलाज बंद, केवल आपातकालीन सुविधा
कोरबा 05 जुलाई। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के आह्वान पर नियमितीकरण की मांग को जिला मेडिकल कालेज से लेकर सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ 1350 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। नियमितीकरण व वेतन विसंगति दूर करने सहित 24 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन प्रदर्शन शुरू करने से जिला मेडिकल कालेज सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इमर्जेंसी को मामले को छोड़ नियमित इलाज की सुविधा बंद हो गई। एक ओर चरमराई स्वास्थ्य सुविधा से अस्पताल में दाखिल हलकान हो रहे हैं। वहीं प्रशासनिक कार्यालयों में दैनिक कामकाज प्रभावित हैं।
चुनाव की निकटता को देखते हुए जिले प्रशासनिक विभागों में कार्यरत कर्मचारियों ने अपनी मांगे मनवाने के लिए हड़ताल शुरू कर दी है। तीन जुलाई को प्रशासन के राजस्व, सिंचाई, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास आदि के बाद अब चार जुलाई से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों हड़ताल का रूख इख्तियार कर लिया है। तानसेन चौक में हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने अपनी मांग मनवाने के लिए हल्लाबोल नारेबाजी शुरू कर दी है। कर्मचारियों उपस्थित नहीं रहने से जिला अस्पताल मंगलवार को इलाज की सुविधा लेने पहुंचे मरीजों व परिजनों को परेशान होना पड़ा। इधर तानसेन चौक के निकट अनिश्चत कालीन हड़ताल पर बैठे छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष एमएस चौहान ने बताया कि वेतन विसंगति दूर करने व नियमितीकरण की मांग पूरा करने के लिए बार.बार शासन को अवगत कराते रहें हैं। सरकार की ओर से कारगर कदम नहीं उठाए जाने के कारण कर्मचारियों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ा है। अध्यक्ष ने बताया कि कर्मचारियों बताया चुनाव के पहले सरकार ने अपनी घोषणा पत्र में स्वास्थ्य कर्मियों की मांगो को पूरा करने की बात कही थी। चार साल से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी मांगों को पूरा नहीं किया गया हैं। जिला स्तरीय प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कोरबा के लिए सार पाली, पोड़ी उपरोड़ा, कटघोरा व करतला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी पहुंचे थे।
इलाज सुविधा के लिए जिला अस्पताल में सुबह से ही मरीजों का पहुंचना शुरू हो गया था। पंजीयन के लिए जीवनदीप समिति के कर्मचारियों कार्यभार सौंपा गया था। अन्य दिनों की तरह 632 लोगों ने पंजीयन कराया था। पंजीकृत मरीजों उस समय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जब ब्लड टेस्ट, एक्स.रे व सोनोग्राफी कराने के लिए डाक्टरों ने लिखा। एक्सरे. के लिए 135 मरीजों में पंजीयन कराया था लेकिन संविदा कर्मचारियों के चले जाने से इमर्जेंसी के केवल 13 मरीजों को ही सुविधा मिली। इसी तरह सोनोग्राफी कक्ष में भी इमर्जेंसी के छह मामलों में सुविधाएं दी गई। सर्वाधिक असर लैब में रहा है। कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से लैब में जांच करा चुके 1300 से लैब टेस्ट रिपोर्ट लंबित हो गए हैं। आपातकालीन इलाज के लिए आने वाले मरीजों को लैब सुविधा दिए जाने के लिए आरटीपीसीआर कोरोना केंद्र के लैब विशेषज्ञों का सहयोग लिया जा रहा है। लैब के अलावा रक्तदान केंद्र का कामकाज भी प्रभावित रहा। रक्त की कमी की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों को सुविधा के लिए निजी अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ी।
ओपीडी में आपात कालीन सेवा के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को सामान्य प्रसव व आपरेशन की सुविधा तो मिल रही है, लेकिन आपरेशन के मरीजों को प्रशिक्षु नर्स के भरोसे छोड़ दिया है। मेडिकल कालेज में यह सुविधा तो पूरी कर ली गई लेकिन उपगरीय क्षेत्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जननी सुरक्षा वार्ड में नर्सों की नितांत कमी देखी जा रही है। नवजात शिशुओं के नियमित टीकाकरण की सुविधाएं हड़ताल के कारण अस्पतालों में बाधित रहीं। कर्मचारियों के हड़ताल का असर केवल अस्पताल के स्वास्थ्य सुविधा पर ही नहीं पड़ी है बल्कि राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियांवयन पर भी शुरू हो गया है। वर्षा काल शुरू होते ही स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न बीमारी जैसे डायरिया, मलेरिया व डेंगू की संभावना बढ़ जाती है। प्रचार-प्रसार से जुड़े 300 कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो गए है। एड्स, टीवी जैसे बीमारियों के लिए हाट बाजार स्वास्थ्य योजना के तहत दी जाने वाली दवाओं की आपूर्ति भी ठप रही।