प्रथम चार्वाक सम्मान कवि और संपादक सुधीर सक्सेना को

बीकानेर 2 सितम्बर। प्रथम चार्वाक सम्मान कवि और संपादक सुधीर सक्सेना को उनके सम्पूर्ण काव्य कृतित्व के लिए अर्पित किया जाएगा। लैम्प (लिटरेचर एंड म्यूजिक प्रमोटर्ज) के तत्वावधान में चार्वाक सम्मान की घोषणा करते डॉ. वीरेन्द्र सिंह गोधारा ने बताया कि सुधीर सक्सेना कवि के रूप में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से कविता के क्षेत्र में सक्रिय है। उनकी काव्य कृतियां आधुनिक कविता के प्रांगण में अपने अलहदा मुहावरे और कहन के कारण विशेष रही है, उन्हें यह सम्मान विशेष रूप से उनके काव्य-संग्रह ईश्वर, हॉ, नहीं, तो… के लिए घोषित करते हुए लैम्प तथा चार्वाक सम्मान ज्यूरी रघुराज सिंह (भोपाल), अमृता बेरा (दिल्ली), डॉ. नीरज दइया (बीकानेर), असंगघोष (जबलपुर), महेन्द्र नेह (कोटा) और डॉ. वीरेन्द्र सिंह गोधारा (कोटा) ने यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया।
प्रथम चार्वाक सम्मान से विभूषित कवि श्री सुधीर सक्सेना का जन्म 30 सितम्बर 1955 को लखनऊ में हुआ और उन्होंने अपनी काव्य यात्रा बहुत दिनों के बाद 1990 से आरंभ की और काल को भी नहीं पता संग्रह ने हिन्दी आलोचना का ध्यानाकर्षित किया। समरकंद में बाबर, रात जब चन्द्रमा बजाता है बांसुरी, किरच-किरच यकीन, किताबें दीवार नही होती, धूसर में बिलासपुर और अर्द्धरत्रि है ये.. जैसे अनेक उललेखनीय कविता संग्रहों के कवि सुधीर सक्सेना हिन्दी के विशिष्ट और प्रयोगधर्मी कवि रहे हैं। उन्होंने लंबी कविता के क्षेत्र में भी अद्वितीय योगदान दिया है। कवि सुधीर सक्सेना ने रूसी भाषा से अनेक कवियों का हिन्दी में अनुवाद के साथ पोलिश एवं ब्राजीली कवियों का अनुवाद कर महत्वपूर्ण कार्य किया है। आपकी कविताओं के अनेक भाषाओं में अनुवाद हुए हैं साथ ही विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं में स्वतंत्र संग्रह भी प्रकाशित हैं।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र सिंह गोधारा ने बताया कि पुरस्कार समारोह के संयोजक बीकानेर के कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया रहेंगे। कार्यक्रम में प्रख्यात कवि और दुनिया इन दिनों के संपादक सुधीर सक्सेना को चार्वाक सम्मान रविवार 20 दिसम्बर, 2020 को भव्य समारोह में कोटा में अर्पित किया जाएगा। उन्हें सम्मान स्वरूप संस्था द्वारा 11 हजार रूपये, साफा, शॉल, श्रीफल और मान-पत्र प्रदान किया जाएगा।

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