सहकारी कर्मियों की मांग पर कार्यवाही नहीं
कोरबा 14 जून। सहकारी समिति कर्मचारी संघ पिछले 14 दिन से हड़ताल पर है। नियमितिकरण सहित कई मांग उसके द्वारा रखी गई है। इसका उल्लेख वर्तमान सरकार ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान अपने जनघोषणापत्र में किय था। इसकी पूर्ति नहीं होने पर कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाकर कामकाज ठप कर दिया है। इसका समाधान कैसे हो, यह चुनौती बनी हुई है। जिला पंजीयक सहकारी समितियों के द्वारा इस मसले पर बैठक बुलायी गई है।
कोरबा सहित प्रदेश भर में सभी सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है। इनमें प्रबंधक से लेकर अन्य कर्मचारी शामिल है। उन्होंने खासतौर पर अपने नियमितिकरण पर फोकस किया है। इसके साथ ही कई और बिन्दुओं की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित किया। याद दिलाया गया कि यह सब बेमतलब नहीं हो रहा है। बल्कि खुद कांग्रेस ने वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान अपने जनघोषणा पत्र में नियमितिकरण सहित कई वादे किये थे। सरकार के सत्ता में आने और साढ़े 4 वर्ष बीतने पर भी इस तरफ कोई काम नहीं हो सका। इससे सहकारी समितियों में काम करने वाला वर्ग खुद को छला हुआ समझ रहा है। प्रांत स्तर पर हुई बैठक के बाद उसने इसी महीने से हड़ताल शुरू कर दी। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो गई है। ऐसे में सरकार की परेशानी बढ़ी है।
बताया गया कि सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने किसी भी कीमत पर हथियार नहीं डालने की मानसिकता बनायी है ऐसे में बीच का रास्ता निकालने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इस कड़ी में जिला पंजीयक के द्वारा आज इस विषय पर सहकारी बैंक के प्रबंधक, सुपरवाईजर, नोडल आफिसर और कृषि विस्तार अधिकारियों की बैठक बुलायी गई है। इसमें व्यवस्था बनाने को लेकर विचार और निर्णय हो सकते है। कहा जा रहा है कि मानसून सिर पर है और ऐसे में सहकारी समितियों के कर्मचारियों हड़ताल पर चले जाने से खास तौर पर अनाज उत्पादकों को दिक्कतें हो रही है। सब्सिडी पर खाद.बीज और अन्य सामाग्री लेने के लिए इन समितियों को व्यवस्था करायी गई है, जो बंद है। इसके चलते परेशानियां बढ़ी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रो में किसानों ने मान लिया है कि हड़ताल के पीछे की वजह कोई गलत नहीं है।
हड़ताली कर्मचारियों पर काम पर लौटने के लिए दबाव बनाने की रणनीति पर भी कोशिश की जा रही है। इस तरह का हल्ला किया जा रहा है कि सहकारी समितियों का संचालन करने के लिए ग्रामीण कृषि विस्तारक अधिकारियों आरईएओ को प्रभार दिया जा सकता है। कुछ मामलों में संबंधितों के द्वारा समितियों में कॉल करने के साथ जानकारी ली गई। इस पर वहां से आदेश दिखाने की बात कही गई तो मामला ठंडा पड़ गया।