कोयला उत्पादन का लक्ष्य बढऩे के साथ खदानों में बढ़ी दुर्घटनाएं
कोरबा 15 अपै्रल। देश की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कोल इंडिया लगातार कोयले का उत्पादन बढ़ाने में जुटा है। कोयला उत्पादन का लक्ष्य बढऩे के साथ खदानों में दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ गई है। सबसे अधिक तेलंगाना के कोयला खदानों में दुर्घटनाएं हो रही। छत्तीसगढ़ में खदानों में भी सुरक्षा को लेकर और अधिक सतर्क होने की आवश्यकता महसूस की जा रही।
कोयला मंत्रालय ने केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी हैए उसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 में देश की अलग अलग कोयला खदानों में 23 दुर्घटनाएं हुईं, इनमें 27 श्रमिकों की मौत हुई है। सर्वाधिक सात मौतें तेलंगाना में हुई हैं। बात छत्तीसगढ़ में संचालित साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की खदानों की करें, तो वित्तीय वर्ष 2017-18 में एसईसीएल का 1538 लाख टन का लक्ष्य रहा। इस वर्ष हुई खदान दुर्घटनाओं में सात लोगों की मौत हुई, इतने ही कर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए और इतने ही लोगों को सामान्य चोटें आई। वित्तीय वर्ष 2018-19 में लक्ष्य बढ़ कर 1600 लाख टन हो गया और मौत की संख्या 14 जा पहुंची। आठ घायल हुए। वर्ष 2019-20 में 1705 लाख टन रहा। इस वर्ष आठ कर्मियों की जान गई और 10 लोगों को गंभीर रूप से घायल हुए। वर्ष 2020-21 में 1720 लाख टन लक्ष्य रहा तो दुर्घटना में 12 कर्मियों की मौत हुई और पांच घायल हुए। वर्ष 2021-22 में भी 1720 लाख टन लक्ष्य रहा और पांच कर्मियों की मौत दुर्घटना में हुई और 10 घायल हुए। बीते वर्ष 2022-23 में 1820 लाख टन ही रहा में चार लोगों की मौत हुई। मौत की संख्या कम रही पर 18 कर्मचारी घायल हुए। आंकड़ों पर नजर डालें तो जैसे. जैसे लक्ष्य बढ़ता गया, खदानों में दुर्घटनाएं बढ़ती गई। एसईसीएल की क्षेत्रीय सुरक्षा समिति के सदस्य गणेश प्रसाद का कहना कि कर्मचारियों पर अधिक काम का बोझ है। आउटसोर्सिंग की कंपनियों में कार्यरत ठेका कर्मी को तकनीकी रूप से दक्ष नहीं है। शून्य दुर्घटना के लिए सुरक्षा संसाधनों में वृद्धि करनी होगी और प्रशिक्षण की गुणवत्ता भी सुधारनी होगी।
गेवरा खदान में मोबाइल पर प्रतिबंध, फस्ट एड की ट्रेेनिंग एसईसीएल की सबसे बड़ी गेवरा कोयला खदान में सुरक्षा को लेकर गंभीर हुए प्रबंधन ने नियमित व ठेका कर्मियों के मोबाइल पर अप्रैल माह से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। खदान में काम के दौरान मोबाइल उपयोग करते यदि कर्मचारी मिले, तो उन पर विभागीय तौर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। इसके अलावा खदान के अंदर ही फस्ट एड प्रशिक्षण कैंप भी शुरू कर दिया गया है। यहां माइनिंग सरदार व ओवहरमैन रैंक के 30 कर्मियों का बैच बना कर उन्हें दुर्घटना में घायल हुए कर्मियों को प्राथमिक उपचार देने का प्रशिक्षण दिया जा रहा।