कोरबा पहुंची छत्तीसगढ़ स्वाभिमान रथ यात्रा, कई जगहों पर हुई नुक्कड़ सभाएं, जन सम्पर्क
कोरबा 13 अप्रेल। स्वाभिमान पार्टी की छत्तीसगढ़ स्वाभिमान रथ यात्रा का कोरबा आगमन हुआ। स्वाभिमान पार्टी के संयोजक वीरेन्द्र पाण्डेय, प्रदेश अध्यक्ष पूरन छाबरिया और वरिष्ठ नेता गौतम सिंह ठाकुर ने जिले में कई जगहों पर नुक्कड़ सभाएं ली और जन सम्पर्क किया।
इस दौरान स्वाभिमान पार्टी के नेता वीरेन्द्र पाण्डेय, पूरन छाबरिया और गौतम सिंह ठाकुर ने बताया कि रथ यात्रा की शुरुआत 6 अप्रेल 2023 को मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से हुई है। यह रथ यात्रा प्रदेश के विधानसभा चुनाव तक गांव गांव शहर शहर जाएगी। पार्टी नेताओं ने बताया कि रथ यात्रा का मुख्य उद्देश्य जन जागरण और पार्टी की विचारधारा तथा कार्यक्रमों का प्रचार प्रसार करना है।
पार्टी नेताओं ने नशा मुक्त व्यक्ति, विषमुक्त खेती और भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति को पार्टी का लक्ष्य बताया। इसके अलावे पार्टी के विचारों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया। उन्होंने पार्टी की सोच को इस तरह बताया-
कर्ज मुक्त छत्तीसगढ़ बनाना है-
भूपेश के राज में छ.ग. पर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है। इसमें रमन सरकार के समय का बयालीस हजार करोड़ का कर्ज शामिल है। हिसाब लगाया जाए तो छ. ग. के हर आदमी पर पैंतीस हजार रुपये का कर्ज है। कर्ज मुक्त राज्य ही श्रेष्ठ, समृद्ध और स्वाभिमानी हो सकता है। ईमान की रोटी और इज्जत की जिंदगी-
ऐसा छत्तीसगढ़ बनाना है जिसमें हर आदमी के हाथ में उसकी योग्यता के अनुरुप काम हो। साथ ही काम से इतनी आमदनी हो कि परिवार का गुजारा आराम से चल सके । छ.ग. में सरकार ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करे कि जनता पुलिस सहित किसी भी कार्यालय या अधिकारी के पास काम से जाए तो उसकी बात सुनी जाए और उसकी पूरी इज्जत की जाए। जनता को अपमानित करने वाले अधिकारी- कर्मचारी को दण्ड मिले ।
किसान की उपज का लाभकारी मूल्य-
धान सहित सभी फसलों का लाभकारी (लागत+लाभ) मूल्य मिले. चाहे व्यापारी खरीदे या सरकार खरीदी पूरे साल हो ।
तीसरी सरकार ग्राम सरकार-
केन्द्र और राज्य के बाद तीसरी सरकार गाँव की सरकार होगी। अपने गाँव के बारे में निर्णय का अधिकार केवल ग्रामीणों का होगा। सरपंच गाँव का मुख्यमंत्री, पंच उसके मंत्री होंगे। ग्रामसभा को विधानसभा का दर्जा होगा। सरपंच व पंच को पर्याप्त वेतन मिलेगा | ग्राम सभा में भाग लेने वाले हर सदस्य को भत्ता मिलेगा। जो दैनिक मजदूरी से कम नहीं होगा। राज्य सरकार अपनी आमदनी का 25% गाँव की सरकार को देगी ।
लूट की भरपाई –
चिटफंड कंपनियों ने छ.ग. की जनता का हजारों करोड़ रुपया लूट लिया। चिटफंड को काम करने की अनुमति सरकार ने दी। अतः जनता के नुकसान की भरपाई राज्य सरकार ब्याज सहित अपने खजाने से करे ।
शिक्षा और चिकित्सा-
शिक्षा और चिकित्सा मनुष्य का बुनियादी अधिकार है। हर व्यक्ति को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और चिकित्सा मुफ्त मिलना चाहिए। सरकार की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है। तीस विद्यार्थी के पीछे एक शिक्षक और एक हजार की आबादी के लिए एक चिकित्सक का अनुपात हो।
कर्मचारी प्रबंध-
छोटे कर्मचारी यथा आंगनवाड़ी, मितानीन, रसोइया, दैनिक वेतनभोगी, अनियमित व संविदा कर्मी आदि की सेवा शर्त व वेतन सम्मानजनक व पर्याप्त होना चाहिए।
पुलिस एवं जेल कर्मचारी-
इनके काम के घंटे मानवीय आधार पर तय होना चाहिए । अपराध की जाँच और सुरक्षा व्यवस्था का अलग-अलग किया जाना चाहिए। एक लाख की आबादी के पीछे 225 पुलिस बल होना चाहिए।
न्याय व्यवस्था-
निष्पक्ष एवं त्वरित न्याय व्यवस्था पर जनता का भरोसा बढ़ाता है साथ ही लोकतंत्र को भी पुष्ट करता है। न्याय के सिद्धांत को भी बदलकर स्थापित करना चाहिए कि एक भी निर्दोषं को सजा नहीं होना चाहिए और एक भी दोषी छूटना नहीं चाहिए । त्वरित न्याय के लिए दस लाख की जनसंख्या में 150 जज होने चाहिए। अभी 18 हैं।
सासंद, विधायक व सरकारी कर्मचारी की तरह आम जनता को भी पेंशन मिले। पेंशन की राशि इतनी होनी चाहिए कि बुढ़ापा आसानी और सम्मान से कट जाए।
पंच ज-
पाँच ज” मतलब जन, जल, जंगल, जमीन और जानवर। इन्हीं पाँच घटक का समुच्चय ही प्रकृति है । इसका संतुलन बना रहना चाहिए। जब भी यह संतुलन बिगड़ता है, सबको कष्ट उठाना पड़ता है। चूँकि इन सबमें मनुष्य बुद्धिमान है अतः उसकी जिम्मेदारी है कि संतुलन बनाकर रखे।
जल-
छ.ग. बने तेइस बरस हो गए पर आज तक हम शुद्ध. साफ पानी सब तक नहीं पहुँचा पाए । आज भी राज्य में सुपाबेड़ा जैसे सैकड़ों गांव हैं, जहां फ्लोराइड का पानी पीकर लोग अकाल मौत मर रहे हैं। सरकार और ठेकेदारों के रेत के लालच ने नदियों को सुखा दिया। उद्योगपतियों ने नदियाँ प्रदूषित कर दीं। हर व्यक्ति तक पर्याप्त और शुद्ध पानी पहुँचाना पहली प्राथमिकता होना चाहिए। छत्तीसगढ़ में 120 सेमी. वर्षा होती है, जो कि बहुत है।
जंगल-
हमारे फेफड़े हैं, जंगल। कटते हैं जंगल तो हवा जहरीली होती है। हर साल तेरह लाख लोग देश में खराब हवा के कारण समय से पहले मर जाते हैं। लेकिन धरती के ऊपर खड़े पेड़ के नीचे धरती में दबे खनिज की लालच के कारण सरकार और धनी लोग जंगल काट रहे हैं। धरती को खोखला कर रहे हैं। इसे रोकना है । जंगल को बचाए बिना जीना मुश्किल है। इसीलिए कहते हैं-
सांसे हो रहीं हैं कम, आओ पेड़ लगाएं हम।
जमीन-
जलवायु परिवर्तन के कारण पैदावार कम हो रही है। आने वाला समय और अधिक कठिन होने वाला है। अतः किसी भी सूरत में उपजाऊ जमीन का किसी भी विकास के नाम पर अधिग्रहण नहीं होना चाहिए । यदि कोई विकल्प न हो तो बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा दिया जाए। साथ ही व्यवस्थापन के पहले विस्थापन न किया जाए।
जानवर-
मनुष्य की तरह हर प्राणी का महत्व है । यही कारण है कि हमारी माता बहनें पहली रोटी गाय को और आखरी रोटी कुत्ते को देती हैं। चींटी को हम आटा खिलाते हैं, क्योंकि हमारा जीवन एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। जैसे हम घर में रहते हैं, वैसे ही जानवरों का घर जंगल है। उसे हम उजाड़ेंगे तो वे हमारे गाँव में आकर बदला लेंगे। जैसे हाथी आज नक्सलवाद से भी बड़ी समस्या बन गए हैं। बंदरों के भोजन वाले जंगल हमने काट डाले तो वे हमारे खेत खाने लगे । जानवर और आदमी एक दूसरे का सम्मान करते हुए सह अस्तित्व बनाए रखें और शान्ति से जिएं।
स्वाभिमान पार्टी की छत्तीसगढ़ स्वाभिमान रथ यात्रा का मकसद
हमारा मानना है कि सभी स्थापित राजनैतिक दल में मूलतः कोई फर्क नहीं है। इनकी गति, मति, नीति, नियत एक जैसे हैं। राज्य में सत्ता परिवर्तन से केवल चेहरे बदलते हैं। चाल-चरित्र, कथनी-करनी में सभी जुड़वा भाई ही हैं। अतः यह कहना उचित होगा कि एक (भाजपा) है, दूसरा (कांग्रेस) सांपनाथ, तीसरा (आप) विषनाथ और अन्य वासुकीनाथ ही हैं। नोट से वोट। फिर वोट से नोट।
पाँच साल धनी मित्रों के साथ मिलकर नोट बनाना और जनता की अनदेखी यही आज की राजनीति का सच है । स्वाभिमान यात्रा का मकसद है कि राजनीति को धन के प्रभाव से मुक्त किया जावे। इसके लिए दो कम हम सबको करने होंगे-
1) आजतक हम राजनैतिक दलों द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशी को ही अपना विधायक या सांसद चुनते हैं । वह हमेशा नागनाथ, सांपनाथ या विषनाथ ही साबित होता है । अब हमें लोकनाथ चुनना है, जो जनता के बीच से ही ढूंढा जाएगा और हम सबको मिलकर ही खोजना है ।
2) राजनीति से धन का प्रभाव को खत्म करना हो तो हमें ही आगे आना होगा। आपसे निवेदन है कि इस रथ यात्रा को छोटी मदद करें जिससे राजनीति – को साफ-सुथरा किया जा सके। कम से कम दस रुपये और एक व्यक्ति से अधिकतम सौ रुपये का योगदान का ही हम आग्रह करते हैं। यदि आपके परिवार में पाँच व्यक्ति हैं तो आप पाँच सौ दे सकते हैं। आपकी सहभागिता ही हम-आप और छग को श्रेष्ठ और समृद्ध बनायेगी।
हमारा सिद्धांत
- मानव केन्द्रित विकास के स्थान पर प्रकृति केन्द्रित विकास
- व्यवस्था परिवर्तन
- भारत को भारत बनाना