रलिया में राजस्व और SECL अधिकारी, नेता कर रहे 100 करोड़ का मुआवजा घोटाला

कोरबा 11 अप्रेल। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ( एस ई सी एल ) की कोयला खदान के लिए अधिग्रहित किए जा रहे रलिया गांव में एसईसीएल और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपयों के मुआवजा घोटाला की स्क्रिप्ट लिख दी गई है। अगले माह से इस स्क्रिप्ट पर खेल शुरू होने जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार एसईसीएल की गेवरा कोयला खदान के लिए ग्राम रलिया और नरईबोध की जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। एसईसीएल की योजना में इन गांवों में भूमि अधिग्रहण किए जाने की जानकारी लंबे समय से क्षेत्र के लोगों को है। लेकिन जैसे ही अधिग्रहण का समय करीब आया, बड़े पैमाने पर इन दोनों गांव की सरकारी जमीनों पर बेजा कब्जा कर घटिया दर्जे के निर्माण कार्य कराने और पेड़ पौधे लगाने का सिलसिला प्रारंभ हो गया। इस घोटाले में स्थानीय पंच सरपंच से लेकर हरदी बाजार दीपिका और कटघोरा के राजस्व विभाग का संबंधित अमला, स्थानीय और जिले के कांग्रेस भाजपा के प्रभावशाली नेता, पुलिस विभाग के कतिपय अधिकारी कर्मचारी और अनेक ग्रामीण शामिल बताए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इन दोनों गांव की सरकारी जमीनों पर लोगों ने घटिया क्वालिटी का पक्का निर्माण कार्य कर लिया है और बृहद क्षेत्रफल में बेजा कब्जा कर पेड़ पौधे भी लगा दिए हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार एसईसीएल की ओर से ₹1200 प्रति स्क्वायर फीट की दर से मकानों का मुआवजा दिया जाना है। इसी तरह पेड़ पौधों का भी मुआवजा अच्छे दर से दिया जा रहा है। हालांकि इन गांवों के एसईसीएल में अधिग्रहण की योजना पुरानी है, लेकिन जैसे ही अधिग्रहण का समय करीब आया पिछले वर्ष से इन गांवों की सरकारी जमीनों पर प्रभावशाली लोगों ने बेजा कब्जा कर अवैध निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया। यह निर्माण कार्य अत्यधिक घटिया क्वालिटी के हैं और कुल ₹1200 प्रति स्क्वायर फीट के दर से केवल मुआवजा के तौर पर मोटी रकम हथियाने के लिए कराए गए हैं। जबकि वर्तमान में प्रति स्क्वायर फीट 800 से 1000 रुपये की दर से पक्का निर्माण कार्य हो रहे हैं। हालत यह है कि अनेक मकानों में ईटों की जुड़ाई का काम मिट्टी से कराया गया है और उस पर सीमेंट का प्लास्टर कर दिया गया है। इसी तरह मकानों में अत्यधिक घटिया क्वालिटी का टाइल्स लगा दिया गया है और आकर्षक रंग रोगन करा दिया गया है। यह सारे उपक्रम मुआवजा के रुप में मोटी रकम हासिल करने के लिए किया गया है।

सूत्रों का कहना है कि संबंधित लोगों को शासकीय भूमि का तो कोई मुआवजा नहीं मिलेगा, लेकिन उस पर निर्मित भवनों के मलवा का मुआवजा दिया जाएगा। यह सारा खेल बहुत सोच समझकर खेला जा रहा है। इस खेल के पीछे एसईसीएल के अधिकारियों की भूमिका भी बेहद संदिग्ध बताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि एसईसीएल के अधिकारियों ने ही लोगों को यह जानकारी दी है कि शासकीय भूमि पर बेजा कब्जा कर बनाए गए मकानों, बोरवेल और पेड़ पौधों का अच्छी दर पर मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन उन्हें जमीन का कोई मुआवजा प्राप्त नहीं होगा। बताया जा रहा है कि एसईसीएल को एक सौ करोड़ रूपयों से भी अधिक का चूना लगाने की तैयारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों, राजस्व और पुलिस विभाग के कतिपय अधिकारियों- कर्मचारियों और क्षेत्र के प्रभावशाली और ऐसे ग्रामीण जो 5 से 10 लाख रुपए खर्च कर बेजा कब्जा कर सकते थे और उनमें भवन निर्माण कर सकते थे, उन लोगों ने एसईसीएल को चूना लगाने की पूरी तैयारी कर रखी है। अगले महीने से रलिया में जमीनों की नाप जोख और मुआवजा प्रकरण बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है।

एक सौ करोड़ रुपयों से भी अधिक के इस घोटाले की जानकारी SECL के वरिष्ठ अधिकारियों को भी है, लेकिन वे राष्ट्र हित में कोयला उत्पादन को आवश्यक बताकर इस घोटाले को जायज ठहराने के प्रयास करते बताए जा रहे हैं। इस मामले में कलेक्टर कोरबा से संज्ञान लेने की अपेक्षा स्थानीय नागरिक कर रहे हैं। देखना होगा कि कलेक्टर कोरबा शासकीय भूमि पर बेजा कब्जा कर एस ई सी एल और शासन के साथ 100 करोड़ रुपयों से भी अधिक की धोखाधड़ी करने के प्रयास पर बंदिश लगते हैं या हरि झंडी दिखाते हैं? इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी किये जाने की चर्चा सुनने में आई है।

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